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मत्सि॑ वा॒युमि॒ष्टये॒ राध॑से च॒ मत्सि॑ मि॒त्रावरु॑णा पू॒यमा॑नः । मत्सि॒ शर्धो॒ मारु॑तं॒ मत्सि॑ दे॒वान्मत्सि॒ द्यावा॑पृथि॒वी दे॑व सोम ॥

English Transliteration

matsi vāyum iṣṭaye rādhase ca matsi mitrāvaruṇā pūyamānaḥ | matsi śardho mārutam matsi devān matsi dyāvāpṛthivī deva soma ||

Pad Path

मत्सि॑ । वा॒युम् । इ॒ष्टये॑ । राध॑से । च॒ । मत्सि॑ । मि॒त्रावरु॑णा । पू॒यमा॑नः । मत्सि॑ । शर्धः॑ । मारु॑तम् । मत्सि॑ । दे॒वान् । मत्सि॑ । द्यावा॑पृथि॒वी इति॑ । दे॒व॒ । सो॒म॒ ॥ ९.९७.४२

Rigveda » Mandal:9» Sukta:97» Mantra:42 | Ashtak:7» Adhyay:4» Varga:19» Mantra:2 | Mandal:9» Anuvak:6» Mantra:42


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ARYAMUNI

Word-Meaning: - (पूयमानः) वह शुद्धस्वरूप परमात्मा (मित्रावरुणा) अध्यापक और उपदेशक को (राधसे) धन के लिये (मत्सि) उत्साहित करता है (च) और (वायुम्) कर्मयोगी को (इष्टये) यज्ञादि कर्मों के लिये (मत्सि) उत्साहित करता है और (मारुतम्) विद्वानों के गण को (शर्धः) बल के लिये (मत्सि) उत्साहित करता है और (देवान्) विद्वानों को (द्यावापृथिवी) द्युलोक और पृथिवीलोक की विद्या के लिये (मत्सि) उत्साहित करता है। (देव) उक्त दिव्यस्वरूप (सोम) सर्वोत्पादक परमात्मन् ! आप उक्तप्रकार से पूर्वोक्त अधिकारियों को (मत्सि) उत्साहित करते हैं ॥४२॥
Connotation: - परमात्मा उद्योगियों के हृदय में सर्वदा उत्साह उत्पन्न करता है। जिस प्रकार सूर्य्य चक्षुवाले लोगों का प्रकाशक है, इसी प्रकार अनुद्योगी परम आलसियों के लिये परमात्मा उद्योग-दीपक नहीं ॥४२॥
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ARYAMUNI

Word-Meaning: - (पूयमानः) स शुद्धस्वरूपः परमात्मा (मित्रावरुणा) अध्यापकोपदेशकान् (राधसे) धनाय (मत्सि) उत्साहयति (वायुं, च) कर्मयोगिनं च (इष्टये) यज्ञाय (मत्सि) उत्साहयति (मारुतं) विद्वद्गणं (शर्धः) बलाय (मत्सि) उत्साहयति (देवान्) विदुषः (द्यावापृथिवी) द्युलोकपृथिवीलोकयोः विद्यायै (मत्सि) उत्साहयति। (देव) हे दिव्यस्वरूप ! (सोम) परमात्मन् ! (मत्सि) एवं सर्वान् स्वोपासकान् उत्साहयति भवान् ॥४२॥