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अस॑र्जि॒ वक्वा॒ रथ्ये॒ यथा॒जौ धि॒या म॒नोता॑ प्रथ॒मो म॑नी॒षी । दश॒ स्वसा॑रो॒ अधि॒ सानो॒ अव्येऽज॑न्ति॒ वह्निं॒ सद॑ना॒न्यच्छ॑ ॥

English Transliteration

asarji vakvā rathye yathājau dhiyā manotā prathamo manīṣī | daśa svasāro adhi sāno avye janti vahniṁ sadanāny accha ||

Pad Path

अस॑र्जि । वक्वा॑ । रथ्ये॑ । यथा॑ । आ॒जौ । धि॒या । म॒नोता॑ । प्र॒थ॒मः । म॒नी॒षी । दश॑ । स्वसा॑रः । अधि॑ । सानौ॑ । अव्ये॑ । अज॑न्ति । वह्नि॑म् । सद॑नानि । अच्छ॑ ॥ ९.९१.१

Rigveda » Mandal:9» Sukta:91» Mantra:1 | Ashtak:7» Adhyay:4» Varga:1» Mantra:1 | Mandal:9» Anuvak:5» Mantra:1


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ARYAMUNI

Word-Meaning: - (मनीषी) जो परमात्मपरायण पुरुष हैं और (प्रथमः) गुणों में श्रेष्ठ होने से मुख्य हैं, (मनोता) जो सर्वप्रिय हैं, वे (धिया) अपनी बुद्धि से (आजौ) आध्यात्मिक यज्ञ में ज्ञान की आहुति प्रदान करें। (यथा) जैसे (रथ्ये) कर्म्मरूपी यज्ञ में (वक्का) वक्ता पुरुष वाणीरूपी कर्म्म को (असर्जि) करता है। (अव्ये, अधि, सानौ) सर्वरक्षक परमात्मरूप यज्ञकुण्ड में (दश स्वसारः) दश प्राणों को (अधि) उक्त यज्ञ के विषय में (अजन्ति) डालते हैं। जिस प्रकार (सदनानि) सुन्दर वेदियों के (अच्छ) प्रति (वह्निं) वह्नि को लक्ष्य बनाकर हवन किया जाता है, इस प्रकार आध्यात्मिक यज्ञ में परमात्मा को वह्निस्थानीय बनाकर हवन किया जाता है ॥१॥
Connotation: - इस मन्त्र में प्राणायाम का वर्णन किया है। जो लोग भली-भाँति प्राणायाम करते हैं, वे आध्यात्मिक यज्ञ करते हैं ॥१॥
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ARYAMUNI

Word-Meaning: - (मनीषी) यो हि मनुष्यः परमात्मपरायणः किञ्च गुणेषु प्रशस्ततया (प्रथमः) मुख्योऽस्ति, (मनोता) यश्च सर्वप्रियः स (धिया) स्वकीयया बुद्ध्या (आजौ) आध्यात्मिके यज्ञे ज्ञानाहुतिं प्रदद्यात् (यथा) यथा (रथ्ये) कर्मरूपे यज्ञे (वक्का) वक्ता पुरुषो वाणीरूपकर्म (असर्जि) विदधाति, (अव्ये, अधि, सानौ) सर्वरक्षकपरमात्मरूपे यज्ञकुण्डे (दश, स्वसारः) दश प्राणाः (अधि अजन्ति) प्राणायामरूपयज्ञं कुर्वन्ति ॥१॥