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आ न॑: सोम॒ पव॑मानः किरा॒ वस्विन्दो॒ भव॑ म॒घवा॒ राध॑सो म॒हः । शिक्षा॑ वयोधो॒ वस॑वे॒ सु चे॒तुना॒ मा नो॒ गय॑मा॒रे अ॒स्मत्परा॑ सिचः ॥

English Transliteration

ā naḥ soma pavamānaḥ kirā vasv indo bhava maghavā rādhaso mahaḥ | śikṣā vayodho vasave su cetunā mā no gayam āre asmat parā sicaḥ ||

Pad Path

आ । नः॒ । सो॒म॒ । पव॑मानः । कि॒र॒ । वसु॑ । इन्दो॒ इति॑ । भव॑ । म॒घऽवा॑ । राध॑सः । म॒हः । शिक्ष॑ । व॒यः॒ऽधः॒ । वस॑वे । सु । चे॒तुना॑ । मा । नः॒ । गय॑म् । आ॒रे । अ॒स्मत् । परा॑ । सि॒चः॒ ॥ ९.८१.३

Rigveda » Mandal:9» Sukta:81» Mantra:3 | Ashtak:7» Adhyay:3» Varga:6» Mantra:3 | Mandal:9» Anuvak:4» Mantra:3


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ARYAMUNI

Word-Meaning: - (सोम) हे परमात्मन् ! (पवमानः) आप सबको पवित्र करनेवाले हैं। (इन्दो) हे सर्वप्रकाशक ! आप (नः) हमको (वसु) सब प्रकार के धन को (आकिर) दें। (मघवा) आप सब ऐश्वर्य के स्वामी हैं, इसलिये हमारे (महो, राधसः) अत्यन्त धन के (भव) प्रदाता बने रहें। परमात्मन् ! आप हमको अपने (सुचेतुना) पवित्र ज्ञान से (शिक्ष) शिक्षा दें और (वयोधः) आप सब प्रकार के ऐश्वर्य्यों को धारण करनेवाले हैं। (वसवे) ऐश्वर्य के पात्र मेरे लिये आप ऐश्वर्य प्रदान करें और (गयं) धन को (अस्मदारे) हमसे (मा परा सिचः) मत दूर करें ॥३॥
Connotation: - इश्वरोपासकों को चाहिये कि ईश्वर की प्राप्ति के हेतु ईश्वर के परम ऐश्वर्य्य का कदापि त्याग न करें और ईश्वर से भी सदा यही प्रार्थना करें कि हे परमेश्वर ! आप हमको ऐश्वर्य्य से कदापि वियुक्त न करें ॥३॥
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ARYAMUNI

Word-Meaning: - (सोम) हे परमात्मन् ! भवान् (पवमानः) पवितास्ति। (इन्दो) हे सर्वप्रकाशक ! त्वम् (नः) अस्मान् (वसु) सर्वविधं धनं (आकिर) देहि। (मघवा) सर्वधनस्वाम्यसि। अतो मह्यं (महो राधसः) उत्कृष्टधनस्य (भव) प्रदाता भव। हे परमेश्वर ! त्वं मह्यं (सुचेतुना) स्वीयपवित्रज्ञानेन (शिक्ष) शिक्षय। अथ च (वयोधः) त्वं सर्वैश्वर्यधारकोऽसि (वसवे) ऐश्वर्ययोग्याय ममैश्वर्यं देहि। अथ च (गयम्) धनं (अस्मादारे) मत्सकाशात् (मा परा सिचः) मान्यत्र कुरु ॥३॥