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मृ॒जन्ति॑ त्वा॒ दश॒ क्षिपो॑ हि॒न्वन्ति॑ स॒प्त धी॒तय॑: । अनु॒ विप्रा॑ अमादिषुः ॥

English Transliteration

mṛjanti tvā daśa kṣipo hinvanti sapta dhītayaḥ | anu viprā amādiṣuḥ ||

Pad Path

मृ॒जन्ति॑ । त्वा॒ । दश॑ । क्षिपः॑ । हि॒न्वन्ति॑ । स॒प्त । धी॒तयः॑ । अनु॑ । विप्राः॑ । अ॒मा॒दि॒षुः॒ ॥ ९.८.४

Rigveda » Mandal:9» Sukta:8» Mantra:4 | Ashtak:6» Adhyay:7» Varga:30» Mantra:4 | Mandal:9» Anuvak:1» Mantra:4


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ARYAMUNI

Word-Meaning: - हे परमात्मन् ! (त्वा, दश, क्षिपः) तुमको पाँच सूक्ष्म भूत और पाँच स्थूलभूत (मृजन्ति) ऐश्वर्यसम्पन्न करते हैं और (सप्त, धीतयः) महदादि सात प्रकृतियें तुम्हें (हिन्वन्ति) गतिरूप से वर्णन करती हैं (अनु) इसके पश्चात् (विप्राः) मेधावी लोग आपको उपलब्ध करके (अमादिषुः) हर्षित होते हैं ॥४॥
Connotation: - पाँच सूक्ष्म और पाँच स्थूलभूत उसकी शुद्धि व ऐश्वर्य का कारण इस अभिप्राय से वर्णन किये गये हैं कि उन्हीं भूतों के कार्यरूप इन्द्रिय कर्म और ज्ञान द्वारा उसको उपलब्ध करते हैं और उस उपलब्धि को पाकर विद्वान् लोग आनन्द को प्राप्त होते हैं ॥४॥
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ARYAMUNI

Word-Meaning: - हे परमात्मन् ! (त्वा, दश, क्षिपः) भवन्तं पञ्च सूक्ष्मभूताः पञ्च च स्थूलभूता एते दश (मृजन्ति) ऐश्वर्यवन्तं कुर्वन्ति तथा (सप्त, धीतयः) सप्त महदादिप्रकृतयः भवन्तम् (हिन्वन्ति) गतिरूपेण वर्णयन्ति (अनु) ततः (विप्राः) मेधाविनः भवन्तं साक्षात्कृत्य (अमादिषुः) प्रहृष्टा भवन्ति ॥४॥