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उपो॑ म॒तिः पृ॒च्यते॑ सि॒च्यते॒ मधु॑ म॒न्द्राज॑नी चोदते अ॒न्तरा॒सनि॑ । पव॑मानः संत॒निः प्र॑घ्न॒तामि॑व॒ मधु॑मान्द्र॒प्सः परि॒ वार॑मर्षति ॥

English Transliteration

upo matiḥ pṛcyate sicyate madhu mandrājanī codate antar āsani | pavamānaḥ saṁtaniḥ praghnatām iva madhumān drapsaḥ pari vāram arṣati ||

Pad Path

उपो॒ इति॑ । म॒तिः पृ॒च्यते॑ । सि॒अयते॑ । मधु॑ । म॒न्द्र॒ऽअज॑नी । चो॒द॒ते॒ । अ॒न्तः । आ॒सनि॑ । पव॑मानः । स॒म्ऽत॒निः । प्र॑घ्न॒ताम्ऽइ॑व । मधु॑ऽमान् । द्र॒प्सः । परि॑ । वार॑म् । अ॒र्ष॒ति॒ ॥ ९.६९.२

Rigveda » Mandal:9» Sukta:69» Mantra:2 | Ashtak:7» Adhyay:2» Varga:21» Mantra:2 | Mandal:9» Anuvak:4» Mantra:2


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ARYAMUNI

Word-Meaning: - (पवमानः) सबको पवित्र करनेवाला परमात्मा (प्रघ्नतां) शूरवीरों के (सन्तानः) शरों के (इव) समान रूद्ररूप है और साधु पुरुषों के लिए (द्रप्सः) गतिशील परमात्मा (मधुमान्) मधु के समान मीठा है। अर्थात् शान्तिप्रद है। (वारं) जो उसका कृपापात्र भक्तजन है, उसको (परि अर्षति) सब प्रकार से प्राप्त होता है और (अन्तः आसनि) भक्त पुरुषों के अन्तःकरण में (मन्द्राजनि) आह्लाद उत्पन्न करनेवाली (मतिः) बुद्धि (चोदते) उत्पन्न होती है। जिससे (सिच्यते) आनन्द की वृष्टि की जाती है।
Connotation: - जो पुरुष शान्तिभाव से परमात्मा के नियमानुकुल चलते हैं, परमात्मा उन्हें शान्तिरूप से उनके कर्मानुकूल फल देता है और जो परमात्मा के नियमों का उल्लङ्घन करते हैं, उनके लिए परमात्मा दण्ड देता है। इसी अभिप्राय से यहाँ शूर वीरों के बाणों के समान परमात्मा को कथन किया गया है। जैसा कि “महद्भयं वज्रमुद्यतम्” उठे हुए वज्र की तरह परमात्मा भयप्रद है ॥२॥
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ARYAMUNI

Word-Meaning: - (पवमानः) सर्वपावकः परमात्मा (प्रघ्नताम्) शूराणां (सन्तनिरिव) शरा इव रुद्ररूपोऽस्ति। अथ च सज्जनेभ्यः (द्रप्सः) गतिशीलः परमेश्वरः (मधुमान्) मधु इव मधुरोऽस्ति शान्तिप्रद इति यावत्। (वारम्) यो हि परमात्मनो भक्तजनोऽस्ति तस्मै (परि अर्षति) सर्वथा प्राप्नोति। अथ च (अन्तः आसनि) भक्तजनामन्तःकरणेषु (मन्द्राजनि) आह्लादकारिणी (मतिः) बुद्धिः (चोदते) उत्पद्यते येन (मधु सिच्यते) आनन्दवृष्टिः क्रियते ॥२॥