प्र प्या॑यस्व॒ प्र स्य॑न्दस्व॒ सोम॒ विश्वे॑भिरं॒शुभि॑: । दे॒वेभ्य॑ उत्त॒मं ह॒विः ॥
English Transliteration
pra pyāyasva pra syandasva soma viśvebhir aṁśubhiḥ | devebhya uttamaṁ haviḥ ||
Pad Path
प्र । प्या॒य॒स्व॒ । प्र । स्य॒न्द॒स्व॒ । सोम॑ । विश्वे॑भिः । अं॒शुऽभिः॑ । दे॒वेभ्यः॑ । उ॒त्ऽत॒मम् । ह॒विः ॥ ९.६७.२८
Rigveda » Mandal:9» Sukta:67» Mantra:28
| Ashtak:7» Adhyay:2» Varga:18» Mantra:3
| Mandal:9» Anuvak:3» Mantra:28
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ARYAMUNI
Word-Meaning: - (सोम) हे परमात्मन् ! आप (प्रप्यायस्व) हमको वृद्धियुक्त करें। तथा (विश्वेभिरंशुभिः) अपने सम्पूर्ण भावों से द्रवीभूत होकर (प्रस्यन्दस्व) कृपायुक्त हों। तथा (देवेभ्यः) विद्वानों के लिए (उत्तमं हविः) उत्तम दानरूपी भावों का प्रदान करें ॥२८॥
Connotation: - परमात्मा ही एकमात्र तृप्ति का कारण है। वह अपने ज्ञान के प्रदान से हमको तृप्त करे ॥२८॥
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ARYAMUNI
Word-Meaning: - (सोम) हे परमात्मन् ! त्वं (प्रप्यायस्व) मां वर्द्धय। तथा (विश्वेभिरंशुभिः) स्वीयसम्पूर्णभावैर्द्रवीभूय (प्रस्यन्दस्व) कृपालुर्भव। तथा (देवेभ्यः) विद्वद्भ्यः (उत्तमं हविः) सर्वोत्तमदानरूपभावान् प्रदेहि ॥२८॥