Go To Mantra

प्र ण॑ इन्दो म॒हे रण॒ आपो॑ अर्षन्ति॒ सिन्ध॑वः । यद्गोभि॑र्वासयि॒ष्यसे॑ ॥

English Transliteration

pra ṇa indo mahe raṇa āpo arṣanti sindhavaḥ | yad gobhir vāsayiṣyase ||

Mantra Audio
Pad Path

प्र । नः॒ । इ॒न्दो॒ इति॑ । म॒हे । रणे॑ । आपः॑ । अ॒र्ष॒न्ति॒ । सिन्ध॑वः । यत् । गोभिः॑ । वा॒स॒यि॒ष्यसे॑ ॥ ९.६६.१३

Rigveda » Mandal:9» Sukta:66» Mantra:13 | Ashtak:7» Adhyay:2» Varga:9» Mantra:3 | Mandal:9» Anuvak:3» Mantra:13


Reads times

ARYAMUNI

Word-Meaning: - (इन्दो) हे प्रकाशरूप परमात्मन् ! (नः) हमारे (महे रणे) ज्ञानरूप यज्ञ के लिए आपने (गोभिः) ज्ञानेन्द्रियों द्वारा हमारे शरीर का (वासयिष्यसे) निर्माण किया है और (यत्) जब (सिन्धवः) स्यन्दनशील कर्मेन्द्रियाँ (आपः) कर्मों को (प्रार्षन्ति) प्राप्त होती हैं, तब हमारे इस बृहत् यज्ञ की पूर्ति होती है ॥१३॥
Connotation: - इस मन्त्र में परमात्मा ने ज्ञान और कर्म का समुच्चय कथन किया है कि जब ज्ञान और कर्म दोनों मिलते हैं, तब ही यज्ञ की पूर्ति होती है, अन्यथा नहीं ॥१३॥
Reads times

ARYAMUNI

Word-Meaning: - (इन्दो) हे प्रकाशरूप परमात्मन् ! (नः) अस्माकं (महे रणे) ज्ञानयज्ञाय त्वया (गोभिः) ज्ञानेन्द्रियैरस्मच्छरीरं (वासयिष्यसे) निर्मितम्। अथ च (यत्) यदा (सिन्धवः) स्यन्दनशीलकर्मेन्द्रियाणि (आपः) कर्माणि (प्रार्षन्ति) प्राप्नुवन्ति, तदैव यज्ञपूर्तिर्भवति ॥१३॥