आ प॑वस्व सु॒वीर्यं॒ मन्द॑मानः स्वायुध । इ॒हो ष्वि॑न्द॒वा ग॑हि ॥
English Transliteration
ā pavasva suvīryam mandamānaḥ svāyudha | iho ṣv indav ā gahi ||
Pad Path
आ । पा॒व॒स्व॒ । सु॒ऽवीर्य॑म् । मन्द॑मानः । सु॒ऽआ॒यु॒ध॒ । इ॒हो इति॑ । सु । इ॒न्दो॒ इति॑ । आ । ग॒हि॒ ॥ ९.६५.५
Rigveda » Mandal:9» Sukta:65» Mantra:5
| Ashtak:7» Adhyay:2» Varga:1» Mantra:5
| Mandal:9» Anuvak:3» Mantra:5
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ARYAMUNI
Word-Meaning: - (इन्दो) हे सर्वप्रकाश परमात्मन् ! आप (सुवीर्यम्) हमारे पराक्रम को (आ पवस्व) सब प्रकार से पवित्र करें। (मन्दमानः) आप आनन्दस्वरूप हैं और (स्वायुधः) आप स्वयम्भू हैं। (इह उ) यहाँ ही (सु) भली-भाँति (आ गहि) हमको आकर अनुग्रहण करिये ॥५॥
Connotation: - इस मन्त्र में परमात्मा के आह्वान करने का तात्पर्य स्वकर्माभिमुख करने का है अर्थात् आप हमारे कर्मों के अनुकूल फलप्रदान करें। परमात्मा सर्वव्यापक है, इसलिये एक स्थान से उठकर किसी दूसरे स्थान में जाना उसका नहीं हो सकता। इस प्रकार बुलाने का तात्पर्य सर्वत्र हृदयदेश में अवगत करने का समझना चाहिये, कुछ अन्य नहीं ॥५॥
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ARYAMUNI
Word-Meaning: - (इन्दो) हे जगदीश्वर ! भवान् (सुवीर्यम्) अस्मत्पराक्रमं (आ पवस्व) सर्वथा पवित्रयतु। यतस्त्वं (मन्दमानः) आनन्दमूर्तिरसि। अथ च (स्वायुधः) भवान् स्वयम्भूरस्ति। (इह उ) अत्रैव (सु) सुतराम् (आ गहि) आगत्य मामनुगृहाण ॥५॥