आ र॒यिमा सु॑चे॒तुन॒मा सु॑क्रतो त॒नूष्वा । पान्त॒मा पु॑रु॒स्पृह॑म् ॥
English Transliteration
ā rayim ā sucetunam ā sukrato tanūṣv ā | pāntam ā puruspṛham ||
Pad Path
आ । र॒यिम् । आ । सु॒ऽचे॒तुन॑म् । आ । सु॒क्र॒तो॒ इति॑ सुऽक्रतो । त॒नूषु॑ । आ । पान्त॑म् । आ । पु॒रु॒ऽस्पृह॑म् ॥ ९.६५.३०
Rigveda » Mandal:9» Sukta:65» Mantra:30
| Ashtak:7» Adhyay:2» Varga:6» Mantra:5
| Mandal:9» Anuvak:3» Mantra:30
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ARYAMUNI
Word-Meaning: - (सुक्रतो) हे सर्वयज्ञाधिपते परमात्मन् ! आप (रयिम्) धन को (सुचेतुनं) और सुन्दर ज्ञान को (तनूषु) हमारी सन्तानों में (आ) सब प्रकार से दें। आप (पुरुस्पृहं) सबके उपास्य देव हैं। (पान्तं) सबको पवित्र करनेवाले हैं। (सुक्रतो) हे शोभन कर्मोंवाले परमात्मन् ! आप ही हमारे उपास्य देव हैं ॥३०॥
Connotation: - इस मन्त्र में नित्य-शुद्ध-बुद्ध-मुक्तस्वभाव सर्वरक्षक पतितपावन परमात्मा के गुणों का वर्णन किया गया है और उसको एकमात्र उपास्य देव माना है ॥३०॥ यह ६५ वाँ सूक्त और ६ वाँ वर्ग समाप्त हुआ ॥
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ARYAMUNI
Word-Meaning: - (सुक्रतो) हे सर्वयज्ञाधिपते परमेश्वर ! भवान् (रयिम्) धनं तथा (सुचेतुनम्) शुभज्ञानं (तनूषु) मत्सन्ततिषु (आ) आ ददातु। भवान् (पुरुस्पृहम्) सर्वेषामुपास्यदेवोऽस्ति। तथा (पान्तं) सर्वपविता चास्ति। (सुक्रतो) हे शुभकर्मिन् ! भवानेव मयोपासनीयोऽस्ति ॥३०॥ इति पञ्चषष्टितमं सूक्तं षष्ठो वर्गश्च समाप्तः ॥