प्र शु॒क्रासो॑ वयो॒जुवो॑ हिन्वा॒नासो॒ न सप्त॑यः । श्री॒णा॒ना अ॒प्सु मृ॑ञ्जत ॥
English Transliteration
pra śukrāso vayojuvo hinvānāso na saptayaḥ | śrīṇānā apsu mṛñjata ||
Pad Path
प्र । शु॒क्रासः॑ । व॒यः॒ऽजुवः॑ । हि॒न्वा॒नासः॑ । न । सप्त॑यः । श्री॒णा॒नाः । अ॒प्ऽसु । मृ॒ञ्ज॒त॒ ॥ ९.६५.२६
Rigveda » Mandal:9» Sukta:65» Mantra:26
| Ashtak:7» Adhyay:2» Varga:6» Mantra:1
| Mandal:9» Anuvak:3» Mantra:26
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ARYAMUNI
Word-Meaning: - (शुक्रासः) वीर्यवाले (वयोजुवः) अन्नादि की विद्या जाननेवाले (श्रीणानाः) विद्या द्वारा संस्कृत हुए उक्त प्रकार के विद्वान् ऋत्विक् लोगों द्वारा (मृञ्जत) वरण किये जाते हैं। (न) जैसे कि (अप्सु हिन्वानासः) जलों में शुद्ध किये हुए (सप्तयः) इन्द्रियों के सात द्वार (प्र) शुभ गुणों को देते हैं ॥१६॥
Connotation: - परमात्मा उपदेश करता है कि हे जीवों ! जिस प्रकार ज्ञानेन्द्रिय के सप्तद्वार जल में शुद्ध किये हुए सुन्दर ज्ञान के साधन बनते हैं, इसी प्रकार यज्ञों में वर्णन किये हुए विद्वान् ज्ञान द्वारा तुम्हारे कल्याणकारी होते हैं ॥१६॥
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Word-Meaning: - (शुक्रासः) वीर्यवन्तः (वयोजुवः) अन्नादिपदार्थविद्याविदः (श्रीणानाः) विद्यया संस्कृता विद्वांसः ऋत्विग्भिः (मृञ्जत) स्वीक्रियन्ते (न) यथा (अप्सु हिन्वानासः) जलशुद्धानि (सप्तयः) इन्द्रियाणां सप्तद्वाराणि (प्र) शुभगुणान् ददते ॥१६॥