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आ न॑: सोम॒ सहो॒ जुवो॑ रू॒पं न वर्च॑से भर । सु॒ष्वा॒णो दे॒ववी॑तये ॥

English Transliteration

ā naḥ soma saho juvo rūpaṁ na varcase bhara | suṣvāṇo devavītaye ||

Pad Path

आ । नः॒ । सो॒म॒ । सहः॑ । जुवः॑ । रू॒पम् । न । वर्च॑से । भ॒र॒ । सु॒स्वा॒नः । दे॒वऽवी॑तये ॥ ९.६५.१८

Rigveda » Mandal:9» Sukta:65» Mantra:18 | Ashtak:7» Adhyay:2» Varga:4» Mantra:3 | Mandal:9» Anuvak:3» Mantra:18


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ARYAMUNI

Word-Meaning: - (सोम) हे परमात्मन् ! (देववीतये) देवमार्ग की प्राप्ति के लिये (नः) हमको (आ भर) सब प्रकार के अभ्युदयों से आप भरपूर करें। आप सबके (सुस्वानः) उत्पत्तिस्थान हैं और (सहः) शत्रुबलनाशक (जुवः) शीघ्रगतिवाले आप (वर्चसे) प्रकाश के लिये (रूपं न) रूप हमको दें ॥१८॥
Connotation: - परमात्मा जिन पुरुषों में दैवी सम्पत्ति के गुण देता है, उनको तेजस्वी बनाता है और सब प्रकार के ऐश्वर्यों का भण्डार बना कर उनको सर्वोपरि बनाता है ॥१८॥
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ARYAMUNI

Word-Meaning: - (सोम) हे परमात्मन् ! (देववीतये) देवमार्गप्राप्तये (नः) अस्मान् (आ भर) सर्वविधाभ्युदयैः परिपूरयतु। भवान् सर्वेषां (सुस्वानः) उत्पत्तिस्थानमस्ति। अथ च (सहः) शत्रुनाशकोऽस्ति तथा (जुवः) शीघ्रगतिशीलो भवान् (वर्चसे) प्रकाशाय (रूपं न) स्वरूपं वितरतु ॥१८॥