Go To Mantra

तं त्वा॑ ध॒र्तार॑मो॒ण्यो॒३॒॑: पव॑मान स्व॒र्दृश॑म् । हि॒न्वे वाजे॑षु वा॒जिन॑म् ॥

English Transliteration

taṁ tvā dhartāram oṇyoḥ pavamāna svardṛśam | hinve vājeṣu vājinam ||

Pad Path

तम् । त्वा॒ । ध॒र्तार॑म् । ओ॒ण्योः॑ । पव॑मान । स्वः॒ऽदृश॑म् । हि॒न्वे । वाजे॑षु । वा॒जिन॑म् ॥ ९.६५.११

Rigveda » Mandal:9» Sukta:65» Mantra:11 | Ashtak:7» Adhyay:2» Varga:3» Mantra:1 | Mandal:9» Anuvak:3» Mantra:11


Reads times

ARYAMUNI

Word-Meaning: - (ओण्योः) द्युलोक और पृथिवीलोक के (धर्तारं) धारण करनेवाले जो आप हैं, (तं त्वा) उक्त गुणसम्पन्न आपको (पवमान) जो सबको पवित्र करनेवाले और (स्वर्दृशं) जो सब लोक-लोकान्तरों के ज्ञाता हैं, ऐसे (वाजिनम्) सर्वशक्तिसम्पन्न आपको (वाजेषु) सब यज्ञों में (हिन्वे) हम लोग आह्वान करते हैं ॥११॥
Connotation: - जो लोग योगयज्ञ, ध्यानयज्ञ, विज्ञानयज्ञ, संग्रामयज्ञ और ज्ञानयज्ञ इत्यादि सब यज्ञों में एकमात्र परमात्मा का आश्रयण करते हैं, वे लोग अवश्यमेव कृतकार्य होते हैं। तात्पर्य यह है कि परमात्मा की सहायता बिना किसी भी यज्ञ की पूर्ति नहीं होती, इसलिये मनुष्यों को चाहिये कि वे सदैव परमात्मा की सहायता लेकर अपने उद्देश्य की पूर्ति करें ॥११॥
Reads times

ARYAMUNI

Word-Meaning: - (ओण्योः) द्युलोकस्य तथा पृथिवीलोकस्य (धर्तारं) धारणकर्तारं (तं त्वा) उक्तगुणसम्पन्नं (पवमान) सर्वपवितारं तथा (स्वर्दृशं) समस्तलोकलोकान्तरज्ञं (वाजिनम्) समस्तशक्तिसम्पन्नं भवन्तं (वाजेषु) यज्ञेषु (हिन्वे) वयमाह्वयामः ॥११॥