के॒तुं कृ॒ण्वन्दि॒वस्परि॒ विश्वा॑ रू॒पाभ्य॑र्षसि । स॒मु॒द्रः सो॑म पिन्वसे ॥
English Transliteration
ketuṁ kṛṇvan divas pari viśvā rūpābhy arṣasi | samudraḥ soma pinvase ||
Pad Path
के॒तुम् । कृ॒ण्वन् । दि॒वः । परि॑ । विश्वा॑ । रू॒पा । अ॒भि । आ॒र्ष॒सि॒ । स॒मु॒द्रः । सो॒म॒ । पि॒न्व॒से॒ ॥ ९.६४.८
Rigveda » Mandal:9» Sukta:64» Mantra:8
| Ashtak:7» Adhyay:1» Varga:37» Mantra:3
| Mandal:9» Anuvak:3» Mantra:8
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ARYAMUNI
Word-Meaning: - (सोम) हे सौम्यस्वभाव परमात्मन् ! (दिवस्परि) द्युलोक के ऊपर (केतुं कृण्वन्) सूर्य तथा चन्द्रमा को आपने केतुरूप बनाया है और (विश्वा रूपा) सम्पूर्ण रूपों को (अभ्यर्षसि) पवित्र बनाया है। जिससे सब आनन्द मिलते हैं, उसका नाम यहाँ समुद्र है, (पिन्वसे) वह आप सब प्रकार के ऐश्वर्यों को हमारे लिये देते हैं ॥८॥
Connotation: - परमात्मा ने अपनी रचना में सूर्य तथा चन्द्रमा को प्रकाश के केतु बनाकर संसार की शोभा को बढ़ाया है और आनन्द का सागर होने से परमात्मा का नाम समुद्र है ॥८॥
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ARYAMUNI
Word-Meaning: - (दिवस्परि) द्युलोकादुपरि (सोम) सौम्यस्वभाव परमात्मन् ! (केतुं कृण्वन्) सूर्यचन्द्रौ केतुरूपौ भवता रचितौ। अथ च (विश्वा रूपा) समस्तरूपाणि (अभ्यर्षसि) पवित्राणि कृतानि (समुद्रः) समुद्द्रवन्ति रसा यस्मादिति समुद्रः, यस्मादानन्दोपलब्धिः स भवान् (पिन्वसे) सर्वविधैश्वर्याणि मह्यं वितरति ॥८॥