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त्वं सो॑म विप॒श्चितं॑ पुना॒नो वाच॑मिष्यसि । इन्दो॑ स॒हस्र॑भर्णसम् ॥

English Transliteration

tvaṁ soma vipaścitam punāno vācam iṣyasi | indo sahasrabharṇasam ||

Pad Path

त्वम् । सो॒म॒ । वि॒पः॒ऽचित॑म् । पु॒ना॒नः । वाच॑म् । इ॒ष्य॒सि॒ । इन्दो॒ इति॑ । स॒हस्र॑ऽभर्णसम् ॥ ९.६४.२५

Rigveda » Mandal:9» Sukta:64» Mantra:25 | Ashtak:7» Adhyay:1» Varga:40» Mantra:5 | Mandal:9» Anuvak:3» Mantra:25


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ARYAMUNI

Word-Meaning: - (पुनानः) सबको पवित्र करनेवाले ! (सोम) सब के उपास्य देव परमात्मन् ! (इन्दो) हे सर्वप्रकाशक ! (त्वं) तुम (विपश्चितम्) ज्ञान-विज्ञान को देनेवाली (वाचम्) जो वाणी है (सहस्रभर्णसं) और अनन्त प्रकार के भूषणों के समान जिसकी शोभा है, ऐसी वाणी को (इष्यसि) चाहते हो ॥२५॥
Connotation: - वेदवाणी के समान कोई अन्य भूषण ज्ञान का ज्ञापक नहीं है। वह सहस्त्रों प्रकार के भूषणों की शोभा को धारण किये हुई है। जो पुरुष इस विद्याभूषण को धारण करता है, वह सर्वोपरि दर्शनीय बनता है ॥२५॥
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ARYAMUNI

Word-Meaning: - (पुनानः) सर्वपावक ! (सोम) हे सर्वोपास्य देव ! (त्वम्) भवान् (विपश्चितम्) ज्ञानविज्ञानदायिनीं (वाचम्) वाणीं (इन्दो) हे सर्वप्रकाशक ! (सहस्रभर्णसम्) बहुविधभूषणवत् शोभा यस्यास्तादृशीं वाणीं (इष्यसि) त्वं वाञ्छसि ॥२५॥