आ यद्योनिं॑ हिर॒ण्यय॑मा॒शुॠ॒तस्य॒ सीद॑ति । जहा॒त्यप्र॑चेतसः ॥
English Transliteration
ā yad yoniṁ hiraṇyayam āśur ṛtasya sīdati | jahāty apracetasaḥ ||
Pad Path
आ । यत् । योनि॑म् । हि॒र॒ण्यय॑म् । आ॒शुः । ऋ॒तस्य॑ । सीद॑ति । जहा॑ति । अप्र॑ऽचेतसः ॥ ९.६४.२०
Rigveda » Mandal:9» Sukta:64» Mantra:20
| Ashtak:7» Adhyay:1» Varga:39» Mantra:5
| Mandal:9» Anuvak:3» Mantra:20
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ARYAMUNI
Word-Meaning: - (यत्) जब (आशुः) अतिवेग गतिशील परमात्मा (ऋतस्य हिरण्ययं योनिं) हिरण्मयी यज्ञवेदी को (आसीदति) प्राप्त होता है, तब (अप्रचेतसः) असमाहित लोगों के अन्तःकरणों को (जहाति) छोड़ देता है ॥२०॥
Connotation: - तात्पर्य यह है कि ज्ञान से प्रकाशित अन्तःकरणों को परमात्मा अपनी शक्ति से विभूषित करता है, अज्ञानावृत अन्तःकरणों को नहीं, इसीलिये यहाँ “अप्रेचतसः जहाति” यह लिखा है। वास्तव में परमात्मा न किसी स्थान को छोड़ता है, न पकड़ता है ॥२०॥
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ARYAMUNI
Word-Meaning: - (यत्) यदा (आशुः) अन्त्यन्तगतिशीलो जगदीश्वरः (ऋतस्य हिरण्ययं योनिम्) हिरण्मयीं यज्ञवेदीं (आसीदति) प्राप्नोति तदा (अप्रचेतसः) असमाहितजनानामन्तःकरणानि (जहाति) त्यजति ॥२०॥