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मिमा॑ति॒ वह्नि॒रेत॑शः प॒दं यु॑जा॒न ऋक्व॑भिः । प्र यत्स॑मु॒द्र आहि॑तः ॥

English Transliteration

mimāti vahnir etaśaḥ padaṁ yujāna ṛkvabhiḥ | pra yat samudra āhitaḥ ||

Pad Path

मिमा॑ति । वह्निः॑ । एत॑शः । प॒दम् । यु॒जा॒नः । ऋक्व॑ऽभिः । प्र । यत् । स॒मु॒द्रे । आऽहि॑तः ॥ ९.६४.१९

Rigveda » Mandal:9» Sukta:64» Mantra:19 | Ashtak:7» Adhyay:1» Varga:39» Mantra:4 | Mandal:9» Anuvak:3» Mantra:19


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ARYAMUNI

Word-Meaning: - हे परमात्मन् ! (ऋक्वभिः) ऋत्विक् लोगों से (यत्) जब (बुद्धिः) हवन की अग्नि (एतशः) जो दिव्यशक्तिसम्पन्न है (मिमाति) प्रज्वलित की जाती है, तब (युजानः) यज्ञ में युक्त होनेवाला परमात्मा, जो (समुद्रे) भक्तिभाव से नम्रीभूत अन्तःकरणों में (प्राहितः) स्थिर रहता है, वह (पदम्) अपने पद को धारण करता है ॥१९॥
Connotation: - जब यज्ञ करते हैं, तब उनके नम्रीभूत अन्तःकरणों में परमात्मा निवास करता है। यज्ञ शब्द के अर्थ यहाँ उपासनात्मक यज्ञ के हैं। यों तो जपयज्ञ, योगयज्ञ, कर्मयज्ञ इत्यादि अनेक प्रकार के यज्ञों में यज्ञ शब्द आता है, जिनके करनेवाले ऋत्विक् कहलाते हैं, परन्तु यहाँ ऋत्विक् शब्द का अर्थ उपासक है। जो ऋतु में अर्थात् प्रकृति के प्रत्येक भाव में उपासना करते हैं, उनको यहाँ ऋत्विक् कहा गया है ॥१९॥
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ARYAMUNI

Word-Meaning: - हे परमात्मन् ! (ऋक्वभिः) ऋत्विग्भिः (यत्) यदा (वह्निः) हवनीयाग्निः (एतशः) यो हि दिव्यशक्तिसम्पन्नोऽस्ति (मिमाति) प्रज्वलितः क्रियते तदा (युजानः) यज्ञप्रयुक्तः परमात्मा यो हि (समुद्रे) भक्त्या नम्रीभूतेऽन्तःकरणे (प्राहितः) स्थिरो भवति स परमात्मा (पदम्) स्वपदं दधाति ॥१९॥