तुभ्ये॒मा भुव॑ना कवे महि॒म्ने सो॑म तस्थिरे । तुभ्य॑मर्षन्ति॒ सिन्ध॑वः ॥
English Transliteration
tubhyemā bhuvanā kave mahimne soma tasthire | tubhyam arṣanti sindhavaḥ ||
Pad Path
तुभ्य॑ । इ॒मा । भुव॑ना । क॒वे॒ । म॒हि॒म्ने । सो॒म॒ । त॒स्थि॒रे॒ । तुभ्य॑म् । अ॒र्ष॒न्ति॒ । सिन्ध॑वः ॥ ९.६२.२७
Rigveda » Mandal:9» Sukta:62» Mantra:27
| Ashtak:7» Adhyay:1» Varga:29» Mantra:2
| Mandal:9» Anuvak:3» Mantra:27
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ARYAMUNI
Word-Meaning: - (कवे) हे विद्वन् ! (इमा भुवना) यह लोक (तुभ्य महिम्ने) तुम्हारी ही महिमा के लिये (तस्थिरे) ईश्वर द्वारा स्थित है और (सोम) हे सौम्य ! (सिन्धवः) सब नदियाँ (तुभ्यम् अर्षन्ति) तुम्हारे उपभोग के लिये ही ईश्वर द्वारा स्यन्दमान हो रही हैं ॥२७॥
Connotation: - इस मन्त्र में परमात्मा के महत्त्व का वर्णन किया गया है कि अनेक प्रकार के भुवनों की रचना और समुद्रों की रचना उस के महत्त्व का वर्णन करती है अर्थात् सम्पूर्ण प्रकृति के कार्य उसके एकदेश में हैं। परमात्मा सर्वत्र परिपूर्ण हो रहा है। अर्थात् परमात्मा अनन्त है और प्रकृति तथा प्रकृति के कार्य सान्त हैं ॥२७॥
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ARYAMUNI
Word-Meaning: - (कवे) हे विद्वन् ! (इमा भुवना) अयं लोकः (तुभ्य महिम्ने) भवतो माहात्म्याय (तस्थिरे) ईश्वरद्वारेण स्थितो वर्तते। तथा (सोम) हे सौम्य ! (सिन्धवः) समस्ता नद्यः (तुभ्यम्) भवत उपभोगाय (अर्षन्ति) ईश्वरद्वारा वहन्ति ॥२७॥