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न त्वा॑ श॒तं च॒न ह्रुतो॒ राधो॒ दित्स॑न्त॒मा मि॑नन् । यत्पु॑ना॒नो म॑ख॒स्यसे॑ ॥

English Transliteration

na tvā śataṁ cana hruto rādho ditsantam ā minan | yat punāno makhasyase ||

Pad Path

न । त्वा॒ । श॒तम् । च॒न । हुतः॑ । राधः॑ । दित्स॑न्तम् । आ । मि॒न॒न् । यत् । पु॒ना॒नः । म॒ख॒स्यसे॑ ॥ ९.६१.२७

Rigveda » Mandal:9» Sukta:61» Mantra:27 | Ashtak:7» Adhyay:1» Varga:23» Mantra:2 | Mandal:9» Anuvak:3» Mantra:27


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ARYAMUNI

Word-Meaning: - (यत् पुनानः मखस्यसे) आप जो कि अपनी प्रजाओं को सुखी करने के लिये धनग्रहण करने की इच्छा करते हैं, इस से (राधः) धन को (आदित्सन्तम्) ग्रहण करते हुए (त्वा) तुमको (शतम् चन हुताः) सैंकड़ों कुटिल दुष्ट (न मिनन्) बाधित नहीं कर सकते ॥२७॥
Connotation: - जो राजा प्रजा की रक्षा के निमित्त ‘कर’ लेता है, उसे कोई दूषित नहीं कर सकता है और उसकी रक्षा से सुरक्षित होकर प्रजा सर्वथैव निर्विघ्न रहती है, उससे दुष्ट दस्यु आदि कोई विघ्न उत्पन्न नहीं कर सकते ॥२७॥
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ARYAMUNI

Word-Meaning: - (यत् पुनानः मखस्यसे) यो भवान् स्वप्रजाः सुखीकर्तुं धनं जिघृक्षति अतः (राधः) धनं (आदित्सन्तम्) गृह्णन् (त्वा) त्वां (शतम् चन हुताः) शतशो दुष्टजनाः (न मिनन्) बाधितुं न शक्नुवन्ति ॥२७॥