जघ्नि॑र्वृ॒त्रम॑मि॒त्रियं॒ सस्नि॒र्वाजं॑ दि॒वेदि॑वे । गो॒षा उ॑ अश्व॒सा अ॑सि ॥
English Transliteration
jaghnir vṛtram amitriyaṁ sasnir vājaṁ dive-dive | goṣā u aśvasā asi ||
Pad Path
जघ्निः॑ । वृ॒त्रम् । अ॒मि॒त्रिय॑म् । सस्निः॑ । वाज॑म् । दि॒वेऽदि॑वे । गो॒ऽसाः । ऊँ॒ इति॑ । अ॒श्व॒ऽसाः । अ॒सि॒ ॥ ९.६१.२०
Rigveda » Mandal:9» Sukta:61» Mantra:20
| Ashtak:7» Adhyay:1» Varga:21» Mantra:5
| Mandal:9» Anuvak:3» Mantra:20
Reads times
ARYAMUNI
Word-Meaning: - (अमित्रियम् वृत्रम् जघ्निः) आप, जो आप की आज्ञा के प्रतिकूल है, उस पापी के हन्ता हैं। तथा (वाजम् दिवेदिवे सस्निः) प्रतिदिन संग्राम के लिये सैनिक विभाग में तत्पर रहते हैं (गोपाः उ अश्वसाः असि) गो अश्व आदि हितकारक जीवों के बढ़ानेवाले हैं ॥२०॥
Connotation: - परमात्मा का वज्र दुष्टों के दमन के लिये सदैव उद्यत रहता है। इस मन्त्र में परमात्मा की दण्डशक्ति का वर्णन किया गया है ॥२०॥
Reads times
ARYAMUNI
Word-Meaning: - (अमित्रियम् वृत्रम् जघ्निः) भवान् यो भवदाज्ञाप्रतिकूलस्तं पापिनं हन्ति तथा (वाजम् दिवे दिवे सस्निः) प्रतिदिनं सङ्ग्रामाय सैनिकविभागे तत्परोऽस्ति (गोषाः उ अश्वसाः असि) गवाश्वादिहितकृज्जीवानां वर्धकोऽस्ति ॥२०॥