इन्द्र॑स्य सोम॒ राध॑से॒ शं प॑वस्व विचर्षणे । प्र॒जाव॒द्रेत॒ आ भ॑र ॥
English Transliteration
indrasya soma rādhase śam pavasva vicarṣaṇe | prajāvad reta ā bhara ||
Pad Path
इन्द्र॑स्य । सो॒म॒ । राध॑से । शम् । प॒व॒स्व॒ । वि॒ऽच॒र्ष॒णे॒ । प्र॒जाऽव॑त् । रेतः॑ । आ । भ॒र॒ ॥ ९.६०.४
Rigveda » Mandal:9» Sukta:60» Mantra:4
| Ashtak:7» Adhyay:1» Varga:17» Mantra:4
| Mandal:9» Anuvak:2» Mantra:4
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ARYAMUNI
Word-Meaning: - (सोम) हे परमात्मन् ! (इन्द्रस्य राधसे) कर्मयोगी के ऐश्वर्य के लिये आप (शं पवस्व) आनन्द का क्षरण कीजिये और (प्रजावत् रेतम् आभर) प्रजादिकों से सम्पन्न ऐश्वर्य को परिपूर्ण करिये ॥४॥
Connotation: - इस मन्त्र में परमात्मा से अभ्युदय की प्रार्थना की गई है कि हे परमात्मन् ! आप हमको कर्मयोगी बनाकर अभ्युदयशील बनाएँ ॥४॥ यह ६० वाँ सूक्त और १७ वाँ वर्ग समाप्त हुआ ॥
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ARYAMUNI
Word-Meaning: - (सोम) हे जगदीश्वर ! (इन्द्रस्य राधसे) कर्मयोगिनामैश्वर्य्याय भवान् (शम् पवस्व) आमोदस्य क्षरणं करोतु। अथ च (प्रजावत् रेतम् आभर) प्रजादिभिर्युतमैश्वर्यं परिपूर्णं करोतु ॥४॥ इति षष्टितमं सूक्तं सप्तदशो वर्गश्च समाप्तः ॥