तं हि॑न्वन्ति मद॒च्युतं॒ हरिं॑ न॒दीषु॑ वा॒जिन॑म् । इन्दु॒मिन्द्रा॑य मत्स॒रम् ॥
English Transliteration
taṁ hinvanti madacyutaṁ hariṁ nadīṣu vājinam | indum indrāya matsaram ||
Pad Path
तम् । हि॒न्व॒न्ति॒ । म॒द॒ऽच्युत॑म् । हरि॑म् । न॒दीषु॑ । वा॒जिन॑म् । इन्दु॑म् । इन्द्रा॑य । म॒त्स॒रम् ॥ ९.५३.४
Rigveda » Mandal:9» Sukta:53» Mantra:4
| Ashtak:7» Adhyay:1» Varga:10» Mantra:4
| Mandal:9» Anuvak:2» Mantra:4
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ARYAMUNI
Word-Meaning: - (मदच्युतम्) आनन्द को क्षरण करनेवाले (हरिम्) सब दुःखों के हरनेवाले (नदीषु वाजिनम्) सब शब्दायमान विद्युदादि शक्तियों में बल को निवेश करनेवाले (इन्दुम्) अखिल ब्रह्माण्ड में प्रकाशमान (इन्द्राय मत्सरम्) विद्वानों के लिये गर्वजनक धनरूप आपको विद्वान् लोग (हिन्वन्ति) बुद्धि द्वारा प्रेरित करते हैं ॥४॥
Connotation: - आनन्दस्त्रोत परमात्मा ही सबका प्रकाशक है, उसी के प्रकाश से सम्पूर्ण विश्व प्रकाशित होता है ॥४॥ यह ५३ वाँ सूक्त और १० वर्ग समाप्त हुआ ॥
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ARYAMUNI
Word-Meaning: - (मदच्युतम्) आनन्दक्षरणकर्ता (हरिम्) सर्वदुःखोपहर्ता (नदीषु वाजिनम्) समस्तशब्दायमानविद्युदादिशक्तिषु बलाविर्भावकर्ता (इन्दुम्) सम्पूर्णब्रह्माण्डे देदीप्यमानः (इन्द्राय मत्सरम्) विद्वद्भ्यो गर्वजनकधनरूपं त्वां (हिन्वन्ति) विद्वांसो बुद्ध्या प्रेरयन्ति ॥४॥ इति त्रिपञ्चाशत्तमं सूक्तं दशमो वर्गश्च समाप्तः |