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उत्ते॒ शुष्मा॑स ईरते॒ सिन्धो॑रू॒र्मेरि॑व स्व॒नः । वा॒णस्य॑ चोदया प॒विम् ॥

English Transliteration

ut te śuṣmāsa īrate sindhor ūrmer iva svanaḥ | vāṇasya codayā pavim ||

Pad Path

उत् । ते॒ । शुष्मा॑सः । ई॒र॒ते॒ । सिन्धोः॑ । ऊ॒र्मेःऽइ॑व । स्व॒नः । वा॒णस्य॑ । चो॒द॒य॒ । प॒विम् ॥ ९.५०.१

Rigveda » Mandal:9» Sukta:50» Mantra:1 | Ashtak:7» Adhyay:1» Varga:7» Mantra:1 | Mandal:9» Anuvak:2» Mantra:1


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ARYAMUNI

अब परमात्मा की शक्तियों की निरन्तरता का वर्णन करते हैं।

Word-Meaning: - हे परमात्मन् ! (सिन्धोः ऊर्मेः स्वनः इव) जिस प्रकार समुद्र की तरङ्गों के शब्द अनवरत होते रहते हैं, उसी प्रकार (ते शुष्मासः ईरते) आपकी शक्तियों के वेग निरन्तर व्याप्त होते रहते हैं। आप (वाणस्य पविं चोदय) वाणी की शक्ति को प्रेरित करें ॥१॥
Connotation: - परमात्मा की शक्तियें अनन्त हैं और नित्य हैं। यद्यपि प्रकृति और जीवात्मा की शक्तियें अनादि अनन्त होने से नित्य हैं, तथापि वे अल्पाश्रित होने से अल्प और परिणामी नित्य हैं, कूटस्थ नित्य नहीं ॥ तात्पर्य यह है कि जीव और प्रकृति के भाव उत्पत्तिविनाशशाली हैं और ईश्वर के भाव सदा एकरस हैं ॥१॥
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ARYAMUNI

अथ परमात्मनः शक्तेर्नैरन्तर्यं वर्ण्यते।

Word-Meaning: - हे दीनपरिपालक ! (सिन्धोः ऊर्मेः स्वनः इव) यथा समुद्रस्य वीचीनामनवरताः शब्दा भवन्ति तथैव (ते शुष्मासः ईरते) भवच्छक्तिवेगा निरन्तरं व्याप्ता भवन्ति। भवान् (वाणस्य पविं चोदय) वाण्याः शक्तिं प्रेरयतु। “वाण इति वाङ्नामसु पठितं निघण्टौ” ॥१॥