Word-Meaning: - (भारती) बिभर्तीति भरतस्तस्येयं भारती=ईश्वरविषयिणी बुद्धि (सरस्वती) सरो विद्यतेऽस्या इति सरस्वती, विविधज्ञानविषयिणी बुद्धि और (इळा मही) सर्वपूज्या बुद्धि (तिस्रः) ये तीनों प्रकार की (सुपेशसः देवीः) सुन्दर बुद्धियें (पवमानस्य) सबको पवित्र करनेवाले परमात्मा के (इमम् यज्ञम्) इस ज्ञानरूपी यज्ञ में (नः) हमको (आगमन्) प्राप्त हों ॥८॥
Connotation: - परमात्मा उपदेश करते हैं कि पुरुषों ! तुम ज्ञानयज्ञप्राप्ति के लिये प्रार्थना करो। इसी अभिप्राय से उक्त मन्त्र में विद्याविधायक भारती सरस्वती और इला ये नाम आये हैं। भारती सरस्वती और विद्या ये एकार्थवाची शब्द हैं। इस प्रकार परमात्मा ने विद्यावृद्धि के लिये जीवों की प्रार्थना द्वारा उपदेश किया है। जैसा कि “धियो यो नः प्रचोदयात्” इस वेदमन्त्र में विद्यावृद्धि का उपदेश है, ऐसा ही उक्त मन्त्र में विद्या के लिये उपदेश है ॥८॥