तया॑ पवस्व॒ धार॑या॒ यया॑ पी॒तो वि॒चक्ष॑से । इन्दो॑ स्तो॒त्रे सु॒वीर्य॑म् ॥
English Transliteration
tayā pavasva dhārayā yayā pīto vicakṣase | indo stotre suvīryam ||
Pad Path
तया॑ । प॒व॒स्व॒ । धार॑या । यया॑ । पी॒तः । वि॒ऽचक्ष॑से । इन्दो॒ इति॑ । स्तो॒त्रे । सु॒ऽवीर्य॑म् ॥ ९.४५.६
Rigveda » Mandal:9» Sukta:45» Mantra:6
| Ashtak:7» Adhyay:1» Varga:2» Mantra:6
| Mandal:9» Anuvak:2» Mantra:6
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ARYAMUNI
Word-Meaning: - (इन्दो) हे परमात्मन् ! (यया पीतः) जिस ज्ञान की धारा से सेवन किये गये आप (विचक्षसे स्तोत्रे) अपने विद्वान् स्तोता के लिये (सुवीर्यम्) सुन्दर ज्ञान-कर्मशालिनी शक्ति को देते हैं (तया धारया पवस्व) उसी आनन्दोत्पादक ज्ञानधारा से आप मुझे पवित्र करिये ॥६॥
Connotation: - परमात्मा अपनी ज्ञानरूप धारा से सबके अन्तःकरणों को सिञ्चित करता है। तात्पर्य यह है कि उसका ज्ञानरूप प्रकाश प्रत्येक पुरुष के हृदय में पड़ता है, परन्तु सुपात्र पुरुष ही पात्र बनकर उसका ग्रहण कर सकते हैं, अन्य नहीं ॥६॥ यह ४५ वाँ सूक्त और दूसरा वर्ग समाप्त हुआ ॥
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ARYAMUNI
Word-Meaning: - (इन्दो) हे परमात्मन् ! (यया पीतः) यया ज्ञानधारया सेवितो भवान् (विचक्षसे स्तोत्रे) स्वस्मै विदुषे स्तुतिकर्त्रे (सुवीर्यम्) सुन्दरकर्मशालिशक्तिं ददाति (तया धारया पवस्व) तयैवानन्दोत्पादिकया ज्ञानधारया अस्मान् पवित्रय ॥६॥ इति पञ्चचत्वारिंशत्तमं सूक्तं द्वितीयो वर्गश्च समाप्तः ॥