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अत्यू॑ प॒वित्र॑मक्रमीद्वा॒जी धुरं॒ न याम॑नि । इन्दु॑र्दे॒वेषु॑ पत्यते ॥

English Transliteration

aty ū pavitram akramīd vājī dhuraṁ na yāmani | indur deveṣu patyate ||

Pad Path

अति॑ । ऊँ॒ इति॑ । प॒वित्र॑म् । अ॒क्र॒मी॒त् । वा॒जी । धुर॑म् । न । याम॑नि । इन्दुः॑ । दे॒वेषु॑ । प॒त्य॒ते॒ ॥ ९.४५.४

Rigveda » Mandal:9» Sukta:45» Mantra:4 | Ashtak:7» Adhyay:1» Varga:2» Mantra:4 | Mandal:9» Anuvak:2» Mantra:4


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ARYAMUNI

Word-Meaning: - (वाजी इन्दुः) उत्तम बलवाला वह परमात्मा (धुरम् अत्यक्रमीत्) सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड के भार के सहने में समर्थ है और (न यामनि) ध्यान करने से शीघ्र ही (देवेषु पवित्रम् पत्यते) विज्ञानियों के हृदय में अधिष्ठित होता है ॥४॥
Connotation: - यद्यपि प्रकृति और जीव ये दोनों पदार्थ भी अपनी सत्ता से विद्यमान हैं, तथापि अधिकरण अर्थात् सबका आधार बनकर एकमात्र परमात्मा ही स्थिर है, इसलिये उसको (धुर) रूप अर्थात् सम्पूर्ण ब्रह्माण्डों के आधाररूप से कथन किया गया है ॥४॥
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ARYAMUNI

Word-Meaning: - (वाजी इन्दुः) उत्तमबलः स परमात्मा (धुरम् अत्यक्रमीत्) सम्पूर्णब्रह्माण्डस्य भारं सोढुं समर्थयते (न यामनि) ध्यानेन द्रुतं (देवेषु पवित्रम् पत्यते) विज्ञानिनां हृदयानि अधितिष्ठति ॥४॥