म॒ती जु॒ष्टो धि॒या हि॒तः सोमो॑ हिन्वे परा॒वति॑ । विप्र॑स्य॒ धार॑या क॒विः ॥
English Transliteration
matī juṣṭo dhiyā hitaḥ somo hinve parāvati | viprasya dhārayā kaviḥ ||
Pad Path
म॒ती । जु॒ष्टः । धि॒या । हि॒तः । सोमः॑ । हि॒न्वे॒ । प॒रा॒ऽवति॑ । विप्र॑स्य । धार॑या । क॒विः ॥ ९.४४.२
Rigveda » Mandal:9» Sukta:44» Mantra:2
| Ashtak:7» Adhyay:1» Varga:1» Mantra:2
| Mandal:9» Anuvak:2» Mantra:2
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ARYAMUNI
Word-Meaning: - (कविः सोमः) वेदरूप काव्यों का निर्माता वह परमात्मा (परावति) अल्प प्रयत्न से ध्यानविषयी न होने के कारण दूरस्थ (मती जुष्टः) स्तुतियों द्वारा प्रसन्न होता हुआ (विप्रस्य धिया हितः) ज्ञानयोगियों की बुद्धि से साक्षात्कार किया गया (धारया हिन्वे) अपने ब्रह्मानन्द धारा से तृप्त करता है ॥२॥
Connotation: - वेद यद्यपि परमात्मा का ज्ञान है, तथापि उस ज्ञान का आर्विभाव परमात्मा करता है। इसी अभिप्राय से उसे वेदों का निर्माता वा कर्त्ता कथन किया है, वास्तव में वेद नित्य है ॥२॥
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Word-Meaning: - (कविः सोमः) वेदरूपकाव्यानां प्रणयिता स परमात्मा (परावति) स्वल्पप्रयत्नेन ध्यानाविषयीभूतः (मती जुष्टः) स्तुतिभिः प्रसीदन् (विप्रस्य धिया हितः) ज्ञानयोगिबुद्ध्या साक्षात्कृतः (धारया हिन्वे) स्वब्रह्मानन्दस्रोतसा प्रीणयति ॥२॥