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प्र ण॑ इन्दो म॒हे तन॑ ऊ॒र्मिं न बिभ्र॑दर्षसि । अ॒भि दे॒वाँ अ॒यास्य॑: ॥

English Transliteration

pra ṇa indo mahe tana ūrmiṁ na bibhrad arṣasi | abhi devām̐ ayāsyaḥ ||

Pad Path

प्र । नः॒ । इ॒न्दो॒ इति॑ । म॒हे । तने॑ । ऊ॒र्मिम् । न । बिभ्र॑त् । अ॒र्ष॒सि॒ । अ॒भि । दे॒वान् । अ॒यास्यः॑ ॥ ९.४४.१

Rigveda » Mandal:9» Sukta:44» Mantra:1 | Ashtak:7» Adhyay:1» Varga:1» Mantra:1 | Mandal:9» Anuvak:2» Mantra:1


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ARYAMUNI

अब परमात्मा मेधावी लोगों की बुद्धि का विषय है, यह वर्णन करते हैं।

Word-Meaning: - (इन्दो) हे परमात्मन् ! (ऊर्मिम् बिभ्रत्) आप आनन्द तरङ्गों को धारण करते हुए (महे तने) बड़े ऐश्वर्य के लिये (नः न प्रार्षसि) हमको शीघ्र ही प्राप्त होते हैं और (अभिदेवान्) कर्मयोगियों को (अयास्यः) विना प्रयत्न प्राप्त होते हैं ॥१॥
Connotation: - जो पुरुष अनुष्ठानशील नहीं अर्थात् उद्योगी बनकर कर्म्मयोग में तत्पर नहीं है, वह पुरुष कदाचित् भी परमात्मा को नहीं पा सकता, इसलिये उद्योगी बनकर कर्म्म में तत्पर होना प्रत्येक मनुष्य का कर्तव्य होना चाहिये ॥१॥
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ARYAMUNI

अथ परमात्मनः मेधाविबुद्धिविषयत्वं वर्ण्यते।

Word-Meaning: - (इन्दो) हे परमात्मन् ! (ऊर्मिम् बिभ्रत्) भवान् आनन्दतरङ्गान् धारयन् (महे तने) महता ऐश्वर्याय (नः न प्रार्षसि) अस्मान् द्रुतं प्राप्नोति (अभिदेवान्) कर्मयोगिनः (अयास्यः) विना प्रयत्नं सङ्गच्छति ॥१॥