अ॒भ्य॑र्ष स्वायुध॒ सोम॑ द्वि॒बर्ह॑सं र॒यिम् । अथा॑ नो॒ वस्य॑सस्कृधि ॥
English Transliteration
abhy arṣa svāyudha soma dvibarhasaṁ rayim | athā no vasyasas kṛdhi ||
Pad Path
अ॒भि । अ॒र्ष॒ । सु॒ऽआ॒यु॒ध॒ । सोम॑ । द्वि॒ऽबर्ह॑सम् । र॒यिम् । अथ॑ । नः॒ । वस्य॑सः । कृ॒धि॒ ॥ ९.४.७
Rigveda » Mandal:9» Sukta:4» Mantra:7
| Ashtak:6» Adhyay:7» Varga:23» Mantra:2
| Mandal:9» Anuvak:1» Mantra:7
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ARYAMUNI
Word-Meaning: - (सोम) “सुते चराचरं जगदिति सोमः परमात्मा=जो चराचर जगत् को उत्पन्न करे, उसका नाम यहाँ सोम है। हे जगदुत्पादक परमात्मन् ! आप (रयिम्) हमको ऐश्वर्य्य (अभ्यर्ष) प्रदान करें, जो ऐश्वर्य्य (द्विबर्हसम्) द्युलोक और पृथिवीलोक के मध्य में सर्वोपरि है। (स्वायुध) आप सब प्रकार से अज्ञान के दूर करनेवाले हैं, इसलिये (नः) हमारे अज्ञान का नाश करके हमको (वस्यसः कृधि) आनन्द प्रदान करें ॥७॥
Connotation: - स्वप्रकाश परमात्मा अज्ञान को निवृत्त करके सदैव सुख का प्रकाश करता है ॥७॥
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ARYAMUNI
Word-Meaning: - (सोम) हे जगदुत्पादक परमात्मन् ! भवान् (रयिम्) ऐश्वर्यम् (अभ्यर्ष) अस्मभ्यं प्रयच्छ, यदैश्वर्यं (द्विबर्हसम्) द्यावापृथिव्योर्मध्ये सर्वोत्कृष्टमस्ति (स्वायुध) भवान् सर्वविधाज्ञानस्य नाशकः, अत एव (नः) अस्माकमपि अज्ञानं नाशय (वस्यसः कृधि) आनन्दं च विधेहि ॥७॥