प॒रि॒ष्कृ॒ण्वन्ननि॑ष्कृतं॒ जना॑य या॒तय॒न्निष॑: । वृ॒ष्टिं दि॒वः परि॑ स्रव ॥
English Transliteration
pariṣkṛṇvann aniṣkṛtaṁ janāya yātayann iṣaḥ | vṛṣṭiṁ divaḥ pari srava ||
Pad Path
प॒रि॒ऽकृ॒ण्वन् । अनिः॑ऽकृतम् । जना॑य । या॒तय॑न् । इषः॑ । वृ॒ष्टिम् । दि॒वः । परि॑ । स्र॒व॒ ॥ ९.३९.२
Rigveda » Mandal:9» Sukta:39» Mantra:2
| Ashtak:6» Adhyay:8» Varga:29» Mantra:2
| Mandal:9» Anuvak:2» Mantra:2
Reads times
ARYAMUNI
Word-Meaning: - (अनिष्कृतम् परिष्कृण्वन्) हे परमात्मन् ! आप अपने अज्ञानी उपासकों को ज्ञान देते हुए (जनाय इषः यातयन्) और अपने भक्तों को ऐश्वर्य प्राप्त कराते हुए (दिवः वृष्टिम् परिस्रव) द्युलोक से वृष्टि को उत्पन्न कीजिये ॥२॥
Connotation: - परमात्मा के संसार में अद्भुत कर्म ये हैं कि उसने द्युलोक को वर्षणशील बनाया है और सूर्यादि लोकों को तेजोमय तथा पृथिवीलोक को दृढ बनाया है इत्यादि विचित्र भावों का कर्ता एकमात्र परमात्मा ही है ॥२॥
Reads times
ARYAMUNI
Word-Meaning: - (अनिष्कृतम् परिष्कृण्वन्) हे परमात्मन् ! भवान् स्वज्ञानोपासकेषु ज्ञानं जनयन् (जनाय इषः यातयन्) भक्तान् ऐश्वर्यप्राप्तिं कारयँश्च (दिवः वृष्टिम् परिस्रव) द्युलोकाद् वृष्टिं स्रावय ॥२॥