Go To Mantra

स वह्नि॑: सोम॒ जागृ॑वि॒: पव॑स्व देव॒वीरति॑ । अ॒भि कोशं॑ मधु॒श्चुत॑म् ॥

English Transliteration

sa vahniḥ soma jāgṛviḥ pavasva devavīr ati | abhi kośam madhuścutam ||

Mantra Audio
Pad Path

सः । वह्निः॑ । सो॒म॒ । जागृ॑विः । पव॑स्व । दे॒व॒ऽवीः । अति॑ । अ॒भि । कोश॑म् । म॒धु॒ऽश्चुत॑म् ॥ ९.३६.२

Rigveda » Mandal:9» Sukta:36» Mantra:2 | Ashtak:6» Adhyay:8» Varga:26» Mantra:2 | Mandal:9» Anuvak:2» Mantra:2


Reads times

ARYAMUNI

Word-Meaning: - (सोम) हे भगवन् ! (सः) वह पूर्वोक्त गुणसम्पन्न आप (वह्निः) सबके प्रेरक हैं और (जागृविः) नित्य शुद्ध-बुद्ध-मुक्तस्वरूप हैं (देववीः अति) सद्गुणसम्पन्न विद्वानों को अति चाहनेवाले हैं (मधुश्चुतम् कोशम् अभिपवस्व) आप आनन्द के स्रोत को बहाइये ॥२॥
Connotation: - सम्पूर्ण वस्तुओं में से परमात्मा ही एकमात्र आनन्दमय है। उसी के आनन्द को उपलब्ध करके जीव आनन्दित होते हैं, इसलिये उसी आनन्दरूप सागर से सुख की प्रार्थना करनी चाहिये ॥२॥
Reads times

ARYAMUNI

Word-Meaning: - (सोम) हे भगवन् ! (सः) पूर्वोक्तगुणवान् त्वं (वह्निः) सर्वप्रेरकः (जागृविः) नित्यः शुद्धो बुद्धो मुक्तस्वरूपश्चासि किञ्च (देववीः अति) सद्गुणसम्पन्नान् विदुषोऽतिकामयसे (मधुश्चुतम् कोशम् अभिपवस्व) त्वमानन्दप्रवाहं स्यन्दय ॥२॥