भुव॑त्त्रि॒तस्य॒ मर्ज्यो॒ भुव॒दिन्द्रा॑य मत्स॒रः । सं रू॒पैर॑ज्यते॒ हरि॑: ॥
English Transliteration
bhuvat tritasya marjyo bhuvad indrāya matsaraḥ | saṁ rūpair ajyate hariḥ ||
Pad Path
भुव॑त् । त्रि॒तस्य॑ । मर्ज्यः॑ । भुव॑त् । इन्द्रा॑य । म॒त्स॒रः । सम् । रू॒पैः । अ॒ज्य॒ते॒ । हरिः॑ ॥ ९.३४.४
Rigveda » Mandal:9» Sukta:34» Mantra:4
| Ashtak:6» Adhyay:8» Varga:24» Mantra:4
| Mandal:9» Anuvak:2» Mantra:4
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ARYAMUNI
Word-Meaning: - परमात्मा (त्रितस्य) श्रवण मनन निदिध्यासन इन तीनों साधनों से (मर्ज्यः भुवत्) उपासनीय है और (इन्द्राय मत्सरः भुवत्) विज्ञानियों के लिये आह्लादकारक है तथा (हरिः रूपैः समज्यते) पापनाशक परमात्मा अपने ब्रह्माण्डरूप कार्यों से अभिव्यक्त होता है ॥४॥
Connotation: - परमात्मा की रचना से उसकी सत्ता का स्पष्ट प्रमाण मिलता है अर्थात् जो नियम इस ब्रह्माण्ड में पाये जाते हैं, उनका नियन्ता वही अवश्य मानना पड़ता है। उस नियन्ता का साक्षात्कार यम-नियमादि साधनों द्वारा होता है, अन्यथा नहीं ॥४॥
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ARYAMUNI
Word-Meaning: - परमात्मा (त्रितस्य) श्रवणमनननिदिध्यासनैः त्रिभिः साधनैः (मर्ज्यः भुवत्) उपासनीयः (इन्द्राय मत्सरः भुवत्) विज्ञानिभ्यः आह्लादजनकश्चास्ति तथा (हरिः रूपैः समज्यते) पापशमकः परमात्मा ब्रह्माण्डरूपैः स्वकार्यैः अभिव्यक्तो भवति ॥४॥