सु॒त इन्द्रा॑य वा॒यवे॒ वरु॑णाय म॒रुद्भ्य॑: । सोमो॑ अर्षति॒ विष्ण॑वे ॥
English Transliteration
suta indrāya vāyave varuṇāya marudbhyaḥ | somo arṣati viṣṇave ||
Pad Path
सु॒तः । इन्द्रा॑य । वा॒यवे॑ । वरु॑णाय । म॒रुत्ऽभ्यः॑ । सोमः॑ । अ॒र्ष॒ति॒ । विष्ण॑वे ॥ ९.३४.२
Rigveda » Mandal:9» Sukta:34» Mantra:2
| Ashtak:6» Adhyay:8» Varga:24» Mantra:2
| Mandal:9» Anuvak:2» Mantra:2
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ARYAMUNI
Word-Meaning: - (सुतः सोमः) स्वयम्भू परमात्मा (इन्द्राय) ज्ञानयोगी के लिये (वायवे) कर्मयोगी के लिये (वरुणाय) उपदेशक के लिये (मरुद्भ्यः) विद्वद्गणों के लिये (विष्णवे) अनेक शास्त्रों में प्रविष्ट विद्वान् के लिये (अर्षति) आकर उनके अन्तःकरण में प्राप्त होता है ॥२॥
Connotation: - यद्यपि परमात्मा व्यापक होने के कारण सर्वत्र विद्यमान है, तथापि उसकी अभिव्यक्ति कर्मयोग ज्ञानयोग तथा अन्य साधनों द्वारा जिन लोगों ने अपने अन्तःकरण को निर्मल किया है, उनके हृदय में विशेषरूप से होती है ॥२॥
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Word-Meaning: - (सुतः सोमः) स्वयम्भूः परमात्मा (इन्द्राय) ज्ञानयोगिने (वायवे) कर्मयोगिने (वरुणाय) उपदेशकाय (मरुद्भ्यः) विद्वद्गणेभ्यः (विष्णवे) अनेकशास्त्रप्रविष्टविदुषे च (अर्षति) आगत्य तत्र भवतामन्तःकरणेषु आविर्भवति ॥२॥