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अ॒प्सु त्वा॒ मधु॑मत्तमं॒ हरिं॑ हिन्व॒न्त्यद्रि॑भिः । इन्द॒विन्द्रा॑य पी॒तये॑ ॥

English Transliteration

apsu tvā madhumattamaṁ hariṁ hinvanty adribhiḥ | indav indrāya pītaye ||

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Pad Path

अ॒प्ऽसु । त्वा॒ । मधु॑मत्ऽतम॑म् । हरि॑म् । हि॒न्व॒न्ति॒ । अद्रि॑ऽभिः । इन्दो॒ इति॑ । इन्द्रा॑य । पी॒तये॑ ॥ ९.३०.५

Rigveda » Mandal:9» Sukta:30» Mantra:5 | Ashtak:6» Adhyay:8» Varga:20» Mantra:5 | Mandal:9» Anuvak:2» Mantra:5


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ARYAMUNI

Word-Meaning: - (इन्दो) हे एश्वर्याभिलाषी जीव ! (अप्सु) सव रसों में (मधुमत्तमम्) मीठा जो एक प्रकार का रस है, ऐसे (त्वा) तुमको (हरिम्) जो तुम अज्ञान के हरनेवाले हो (अद्रिभिः) वाणीरूप व्रज से हिन्वन्ति वेदवेत्ता पुरुष तुम्हें प्रेरित करते हैं, ताकि तुम (इन्द्राय) कर्मयोगी को (पीतये) ऐश्वर्यप्रदान करने के लिये समर्थ बनो ॥५॥
Connotation: - जो पुरुष धार्मिक बन के सदुपदेश करते हैं, वे मानो सब रसों में से अपने आपको माधुर्य्यसम्पन्न सिद्ध करते हैं और वे ही लोग उपदेष्टा बनकर संसार में लोगों को कर्मयोग का उपदेश करते हैं ॥५॥
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ARYAMUNI

Word-Meaning: - (इन्दो) हे ऐश्वर्य्यकाम जीव ! (अप्सु) सर्वरसेषु (मधुमत्तमम्) स्वादुर्यदेकविधो रसोऽस्ति एवम्भूतं (त्वा) त्वां (हरिम्) अज्ञानच्छेदकं (अद्रिभिः) वाग्रूपैर्वज्रैः (हिन्वन्ति) वेदज्ञाः पुरुषाः प्रेरयन्ति यतस्त्वं (इन्द्राय) कर्मयोगिभ्यः (पीतये) ऐश्वर्यप्रदानाय समर्थः स्याः ॥५॥