प्र धारा॑ अस्य शु॒ष्मिणो॒ वृथा॑ प॒वित्रे॑ अक्षरन् । पु॒ना॒नो वाच॑मिष्यति ॥
English Transliteration
pra dhārā asya śuṣmiṇo vṛthā pavitre akṣaran | punāno vācam iṣyati ||
Pad Path
प्र । धाराः॑ । अ॒स्य॒ । शु॒ष्मिणः॑ । वृथा॑ । प॒वित्रे॑ । अ॒क्ष॒र॒न् । पु॒ना॒नः । वाच॑म् । इ॒ष्य॒ति॒ ॥ ९.३०.१
Rigveda » Mandal:9» Sukta:30» Mantra:1
| Ashtak:6» Adhyay:8» Varga:20» Mantra:1
| Mandal:9» Anuvak:2» Mantra:1
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ARYAMUNI
Word-Meaning: - (प्र पुनानः) अपने आपको पवित्र करता हुआ जो पुरुष (वाचम् इष्यति) वाग्रूप सरस्वती की इच्छा करता है (अस्य शुष्मिणः) उस बलिष्ठ के लिये (पवित्रे) पात्र में (वृथा) व्यर्थ ही इस सोमरस की (धाराः) धाराएँ (अक्षरन्) गिरती हैं ॥१॥
Connotation: - जितने प्रकार के संसार में बल पाये जाते हैं, उन सबमें से वाणी का बल सबसे बड़ा है, इस अभिप्राय से परमात्मा उपदेश करते हैं कि हे पुरुषो ! यदि तुम सर्वोपरि बल को उपलब्ध करना चाहते हो, तो वाणीरूप बल की इच्छा करो। जो पुरुष वाणीरूप बल को उपलब्ध करते हैं, उनके लिये सोमादि रसों से बल लेने की आवश्यकता नहीं ॥१॥
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ARYAMUNI
Word-Meaning: - (प्र पुनानः) आत्मानं पवित्रयन् यः पुरुषः (वाचम् इष्यति) वाग्रूपां सरस्वतीमिच्छति (अस्य शुष्मिणः) अस्मै बलिने (पवित्रे) पात्रे (वृथा) मुधैव सोमरसस्य (धाराः) धाराः पतन्ति ॥१॥