ए॒ष इन्द्रा॑य वा॒यवे॑ स्व॒र्जित्परि॑ षिच्यते । प॒वित्रे॑ दक्ष॒साध॑नः ॥
English Transliteration
eṣa indrāya vāyave svarjit pari ṣicyate | pavitre dakṣasādhanaḥ ||
Pad Path
ए॒षः । इन्द्रा॑य । वा॒यवे॑ । स्वः॒ऽजित् । परि॑ । सि॒च्य॒ते॒ । प॒वित्रे॑ । द॒क्ष॒ऽसाध॑नः ॥ ९.२७.२
Rigveda » Mandal:9» Sukta:27» Mantra:2
| Ashtak:6» Adhyay:8» Varga:17» Mantra:2
| Mandal:9» Anuvak:2» Mantra:2
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ARYAMUNI
Word-Meaning: - (एषः) वह उक्त परमात्मा (वायवे इन्द्राय) कर्मयोगी के लिये सुलभ होता है (स्वर्जित् परिषिच्यते) जिन लोगों ने सुख को जीत लिया है, उन लोगों से सत्कृत होता है और (पवित्रे) पवित्र अन्तःकरण में (दक्षसाधनः) सुनीति का देनेवाला है ॥२॥
Connotation: - जो लोग परमात्मा पर दृढ़ विश्वास रखते हैं, उनको परमात्मा सुनीति का दान देता है और वह परमात्मा जिन लोगों ने विषयजन्य सुख को जीत लिया है, उन्हीं की चित्तवृत्तियों का विषय होता है। वा यों कहो कि कर्मयोगी लोग अपने उग्र कर्मों द्वारा उसको उपलब्ध करके उसके भावों को प्राप्त होते हैं। जो लोग आलसी बनकर अपने जन्म को व्यर्थ व्यतीत करते हैं, उनका उद्धार कदापि नहीं होता ॥२॥
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ARYAMUNI
Word-Meaning: - (एषः) स उक्तः परमात्मा (वायवे इन्द्राय) कर्मयोगिने सुलभः (स्वर्जित् परिषिच्यते) विजितसुखास्वादैः पुरुषैः सत्क्रियते (पवित्रे) पवित्रान्तःकरणे च (दक्षसाधनः) सुनीतिं ददाति ॥२॥