तं साना॒वधि॑ जा॒मयो॒ हरिं॑ हिन्व॒न्त्यद्रि॑भिः । ह॒र्य॒तं भूरि॑चक्षसम् ॥
English Transliteration
taṁ sānāv adhi jāmayo hariṁ hinvanty adribhiḥ | haryatam bhūricakṣasam ||
Pad Path
तम् । सानौ॑ । अधि॑ । जा॒मयः॑ । हरि॑म् । हि॒न्व॒न्ति॒ । अद्रि॑ऽभिः । ह॒र्य॒तम् । भूरि॑ऽचक्षसम् ॥ ९.२६.५
Rigveda » Mandal:9» Sukta:26» Mantra:5
| Ashtak:6» Adhyay:8» Varga:16» Mantra:5
| Mandal:9» Anuvak:2» Mantra:5
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ARYAMUNI
Word-Meaning: - (जामयः) इन्द्रियवृत्तियें (तम्) उस परमात्मा को (सानौ अधि) उच्च से उच्च प्रदेश में (अद्रिभिः) अपनी शक्तियों से (हिन्वन्ति) प्रेरणा करती हैं जो कि (हरिम्) भक्तों के दुःख को हरनेवाला और (हर्यतम्) प्रलयादि परिणामों में हेतुभूत तथा (भूरिचक्षसम्) सर्वज्ञ है ॥५॥
Connotation: - उक्त परमात्मा ही जगत् के जन्मादिकों का हेतु है अर्थात् उसी से जगत् की उत्पत्ति, स्थिति तथा प्रलय होता है। वह परमात्मा हिमालय के उच्च से उच्च प्रदेशों में और सागर के गम्भीर से गम्भीर स्थानों में विराजमान है। उस सर्वज्ञ का साक्षात्कार चित्तवृत्ति- निरोधरूपी योगद्वारा ही हो सकता है, अन्यथा नहीं ॥५॥
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ARYAMUNI
Word-Meaning: - (जामयः) इन्द्रियवृत्तयः (तम्) तस्य परमात्मनः (सानौ अधि) उन्नतोन्नतप्रदेशे (अद्रिभिः) स्वशक्तिभिः (हिन्वन्ति) प्रेरयन्ति यः (हरिम्) भक्तदुःखविहन्ता (हर्यतम्) प्रलयादिपरिणामेषु हेतुभूतः (भूरिचक्षसम्) सर्वज्ञश्चास्ति ॥५॥