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पव॑स्व वृत्रहन्तमो॒क्थेभि॑रनु॒माद्य॑: । शुचि॑: पाव॒को अद्भु॑तः ॥

English Transliteration

pavasva vṛtrahantamokthebhir anumādyaḥ | śuciḥ pāvako adbhutaḥ ||

Pad Path

पव॑स्व । वृ॒त्र॒ह॒न्ऽत॒म॒ । उ॒क्थेभिः॑ । अ॒नु॒ऽमाद्यः॑ । शुचिः॑ । पा॒व॒कः । अद्भु॑तः ॥ ९.२४.६

Rigveda » Mandal:9» Sukta:24» Mantra:6 | Ashtak:6» Adhyay:8» Varga:14» Mantra:6 | Mandal:9» Anuvak:1» Mantra:6


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ARYAMUNI

Word-Meaning: - (वृत्रहन्तम) हे अज्ञान के नाश करनेवाले परमात्मन् ! आप (उक्थेभिः) यज्ञों द्वारा (अनुमाद्यः) मनुष्यों को आनन्द देते हैं (शुचिः) शुद्धस्वरूप हैं (पावकः) सब को पवित्र करनेवाले हैं तथा (अद्भुतः) आश्चर्यरूप हैं। आप कृपा कर (पवस्व) हम को पवित्र करें ॥६॥
Connotation: - परमात्मा ही इस संसार में आश्चर्यमय है अर्थात् अन्य सब वस्तुओं का पारावार मिल जाता है। एकमात्र परमात्मा ही ऐसा पदार्थ है, जिसका पारावार नहीं। यद्यपि जिज्ञासु पुरुष उस पूर्ण को पूर्णरूप से नहीं जान सकता, तथापि उसके ज्ञानमात्र से अर्थात् “अस्ति इत्येवोपलब्धव्यः” उसकी सत्ता के साक्षात्कार से पुरुष आनन्द का अनुभव करता है। केवल एकमात्र परमात्मा ही आनन्दमय है, अन्य सब उसी के आनन्द का लाभ करके आनन्द पाते हैं, अन्यथा नहीं ॥६॥
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ARYAMUNI

Word-Meaning: - (वृत्रहन्तम) हे अज्ञाननाशक परमात्मन् ! त्वं (उक्थेभिः) यज्ञैः (अनुमाद्यः) मनुष्येभ्य आनन्ददाता (शुचिः) शुद्धस्वरूपः (पावकः) सर्वेषां पविता (अद्भुतः) आश्चर्य्यरूपश्चासि त्वं कृपां कृत्वा अस्मान् (पवस्व) पवित्री कुरु ॥६॥