त्वं सो॑म नृ॒माद॑न॒: पव॑स्व चर्षणी॒सहे॑ । सस्नि॒र्यो अ॑नु॒माद्य॑: ॥
English Transliteration
tvaṁ soma nṛmādanaḥ pavasva carṣaṇīsahe | sasnir yo anumādyaḥ ||
Pad Path
त्वम् । सो॒म॒ । नृ॒ऽमाद॑नः । पव॑स्व । च॒र्ष॒णि॒ऽसहे॑ । सस्निः॑ । यः । अ॒नु॒ऽमाद्यः॑ ॥ ९.२४.४
Rigveda » Mandal:9» Sukta:24» Mantra:4
| Ashtak:6» Adhyay:8» Varga:14» Mantra:4
| Mandal:9» Anuvak:1» Mantra:4
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ARYAMUNI
Word-Meaning: - (सोम) हे सर्वोत्पादक परमात्मन् ! (त्वम्) तुम (नृमादनः) मनुष्यों को आनन्द देनेवाले हो (चर्षणीसहे) जो आप से विमुख मनुष्य हैं, उन पर भी कृपा करनेवाले हो (सस्निः) शुद्धस्वरूप हो (अनुमाद्यः) सर्वथा स्तुति करने योग्य हो (यः) जो इस प्रकार के गुणों के आधार सर्वोपरि देव आप हैं (पवस्व) आप हम पर कृपा करें ॥४॥
Connotation: - परमात्मा किसी से राग द्वेष नहीं करते, सब को स्वकर्मानुकूल फल देते हैं। अर्थात् एकमात्र परमात्मा ही पक्षपात से शून्य होकर न्याय करते हैं, इसीलिये परमात्मा को यहाँ “चर्षणीसह” अर्थात् सव पर दया करनेवाला कहा गया है ॥४॥
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ARYAMUNI
Word-Meaning: - (सोम) हे सर्वोत्पादक ! (त्वम्) भवान् (नृमादनः) मनुष्येभ्य आनन्दस्य दाता (चर्षणीसहे) स्वप्रतिकूलेभ्योऽपि क्षमते (सस्निः) शुद्धस्वरूपः (अनुमाद्यः) सर्वथा स्तुत्यः (यः) एवम्भूतो यो विराजते स भवानेव (पवस्व) अस्मान्पावयतु ॥४॥