सोमो॑ अर्षति धर्ण॒सिर्दधा॑न इन्द्रि॒यं रस॑म् । सु॒वीरो॑ अभिशस्ति॒पाः ॥
English Transliteration
somo arṣati dharṇasir dadhāna indriyaṁ rasam | suvīro abhiśastipāḥ ||
Pad Path
सोमः॑ । अ॒र्ष॒ति॒ । ध॒र्ण॒सिः । दधा॑नः । इ॒न्द्रि॒यम् । रस॑म् । सु॒ऽवीरः॑ । अ॒भि॒श॒स्ति॒ऽपाः ॥ ९.२३.५
Rigveda » Mandal:9» Sukta:23» Mantra:5
| Ashtak:6» Adhyay:8» Varga:13» Mantra:5
| Mandal:9» Anuvak:1» Mantra:5
Reads times
ARYAMUNI
Word-Meaning: - (सोमः) सब पदार्थ का उत्पत्तिस्थान यह ब्रह्माण्ड (अर्षति) गति कर रहा है (धर्णसिः) सब का धारण करनेवाला है और (इन्द्रियम् रसम्) इन्द्रियों के शब्दस्पर्शादि रसों को (दधानः) धारण करता हुआ विराजमान है और उसका (सुवीरः) सर्वशक्तिसम्पन्न परमात्मा (अभिशस्तिपाः) सब ओर से रक्षक है ॥५॥
Connotation: - जो ब्रह्माण्ड कोटि-२ नक्षत्रों को धारण किये हुए है और जिनमें नानाप्रकार के रस उत्पन्न होते हैं, उनका जन्मदाता एकमात्र परमात्मा ही है, अन्य कोई नहीं। इस मन्त्र में ब्रह्माण्डादिपति परमात्मा का वर्णन किया गया है और उसी की सत्ता से धारण किये हुए ब्रह्माण्डों का वर्णन है ॥५॥
Reads times
ARYAMUNI
Word-Meaning: - (सोमः) अखिलपदार्थोत्पत्तिस्थानमिदं ब्रह्माण्डं (अर्षति) शश्वद्गच्छति (धर्णसिः) सर्वेषां धारकः (इन्द्रियम् रसम्) इन्द्रियसम्बन्धीनि शब्दस्पर्शादीनि (दधानः) धारयन् आस्ते (सुवीरः) सर्वशक्तिमान् परमात्मा (अभिशस्तिपाः) अभितो रक्षति तत् ॥५॥