ए॒ते पृ॒ष्ठानि॒ रोद॑सोर्विप्र॒यन्तो॒ व्या॑नशुः । उ॒तेदमु॑त्त॒मं रज॑: ॥
English Transliteration
ete pṛṣṭhāni rodasor viprayanto vy ānaśuḥ | utedam uttamaṁ rajaḥ ||
Pad Path
ए॒ते । पृ॒ष्ठानि॑ । रोद॑सोः । वि॒ऽप्र॒यन्तः॑ । वि । आ॒न॒शुः॒ । उ॒त । इ॒दम् । उ॒त्ऽत॒मम् । रजः॑ ॥ ९.२२.५
Rigveda » Mandal:9» Sukta:22» Mantra:5
| Ashtak:6» Adhyay:8» Varga:12» Mantra:5
| Mandal:9» Anuvak:1» Mantra:5
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ARYAMUNI
Word-Meaning: - (एते) ये सब नक्षत्रादि (रोदसोः पृष्ठानि) पृथिवी और द्युलोक के मध्य में (विप्रयन्तः) चलते हुए (इदम् उत्तमम् रजः) इस उत्तम रजोगुण को (उत व्यानशुः) व्याप्त होते हैं ॥५॥
Connotation: - उक्त ब्रह्माण्डों की विविध रचना में परमात्मा ने इस प्रकार का आकर्षण और विकर्षण उत्पन्न किया है, जिसमें एक दूसरे के आश्रित होकर प्रतिक्षण गतिशील बन रहे हैं। वा यों कहो कि सत्त्व रज और तम प्रकृति के ये तीनों गुण अर्थात् प्रकृति की ये तीनों अवस्थायें जिस प्रकार एक दूसरे का आश्रयण करती हैं, इस प्रकार एक दूसरे को आश्रयण करता हुआ प्रत्येक ब्रह्माण्ड इस नभोमण्डल में वायुवेग से उत्तेजित तृण के समान प्रतिक्षण चल रहा है, कोई स्थिर नहीं ॥५॥
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ARYAMUNI
Word-Meaning: - (एते) एतानि नक्षत्राणि (रोदसोः पृष्ठानि) द्यावापृथिव्योर्मध्यगतानि (विप्रयन्तः) गच्छन्ति सन्ति (इदम् उत्तमम् रजः) एतमुत्तमं रजोगुणं (उत व्यानशुः) व्याप्नुवन्ति ॥५॥