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स शु॒ष्मी क॒लशे॒ष्वा पु॑ना॒नो अ॑चिक्रदत् । मदे॑षु सर्व॒धा अ॑सि ॥

English Transliteration

sa śuṣmī kalaśeṣv ā punāno acikradat | madeṣu sarvadhā asi ||

Pad Path

सः । शु॒ष्मी । क॒लशे॑षु । आ । पु॒ना॒नः । अ॒चि॒क्र॒द॒त् । मदे॑षु । स॒र्व॒ऽधाः । अ॒सि॒ ॥ ९.१८.७

Rigveda » Mandal:9» Sukta:18» Mantra:7 | Ashtak:6» Adhyay:8» Varga:8» Mantra:7 | Mandal:9» Anuvak:1» Mantra:7


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ARYAMUNI

Word-Meaning: - (शुष्मी) ओजस्वी और (पुनानः) सबको पवित्र करनेवाला (सः) वह परमात्मा (कलशेषु) “कलं शवन्ति इति कलशा वैदिकशब्दाः” वैदिक शब्दों में (अचिक्रदत्) बोलता है (मदेषु) और हर्षयुक्त वस्तुओं में (सर्वधाः) सब प्रकार की शोभा को धारण करानेवाला (असि) वही है ॥७॥
Connotation: - जिस प्रकार परमात्मा के अन्तरिक्ष उदर और द्युलोक मूर्धस्थानी रूपकालङ्कार से माने गये हैं, इसी प्रकार उसके शब्दों को भी रूपकालङ्कार से कल्पना की गयी है। वास्तव में वह परमात्मा ‘अशब्दमस्पर्शमरूपमव्ययम्’ कि वह शब्दस्पर्शादिगुणों से रहित है और अव्यय=अविनाशी है इत्यादि वाक्यों द्वारा शब्दादि गुणों से सर्वथा रहित वर्णन किया गया है। उपनिषदों का यह भाव भी ‘स पर्यगाच्छुक्रमकायमव्रणम्’ यजु० ४०।८ कि वह निराकार परमात्मा सर्वत्र व्यापक है इत्यादि वेदमन्त्रों से लिया गया है ॥७॥ यह अठारहवाँ सूक्त और आठवाँ वर्ग समाप्त हुआ ॥
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ARYAMUNI

Word-Meaning: - (शुष्मी) ओजस्वी (पुनानः) सर्वस्य पावयिता (सः) स परमात्मा (कलशेषु) वैदिकशब्देषु (अचिक्रदत्) ब्रवीति स एव (मदेषु) सर्वहर्षयुक्तवस्तुषु (सर्वधाः) सर्वविधशोभानां धारकः (असि) अस्ति ॥७॥ अष्टादशं सूक्तमष्टमो वर्गश्च समाप्तः ॥