अति॒ त्री सो॑म रोच॒ना रोह॒न्न भ्रा॑जसे॒ दिव॑म् । इ॒ष्णन्त्सूर्यं॒ न चो॑दयः ॥
English Transliteration
ati trī soma rocanā rohan na bhrājase divam | iṣṇan sūryaṁ na codayaḥ ||
Pad Path
अति॑ । त्री । सो॒म॒ । रो॒च॒ना । रोह॑न् । न । भ्रा॒ज॒से॒ । दिव॑म् । इ॒ष्णन् । सूर्य॑म् । न । चो॒द॒यः॒ ॥ ९.१७.५
Rigveda » Mandal:9» Sukta:17» Mantra:5
| Ashtak:6» Adhyay:8» Varga:7» Mantra:5
| Mandal:9» Anuvak:1» Mantra:5
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ARYAMUNI
Word-Meaning: - (सोम) हे परमात्मन् ! (त्री रोचना अति) आप तीनों लोकों को अतिकमण करके (रोहन् न) सर्वोपरि विराजमान होकर (दिवम् भ्राजसे) द्युलोक को प्रकाशित करते हैं (न) और (इष्णन्) सर्वत्र गतिशील होकर (सूर्यम् चोदयः) सूर्य को भी प्रेरणा करते हैं ॥५॥
Connotation: - परमात्मा की सत्ता से पृथिवी अन्तरिक्ष और द्यौ ये तीनों लोक स्थिर हैं और उसी की सत्ता में सूर्य चन्द्रमा आदि तेजस्वी पदार्थ सब स्थिर हैं अर्थात् उसी के नियम में विराजमान हैं, ‘भयादस्याग्निस्तपति भयात्तपति सूर्यः। भयादिन्द्रश्च वायुश्च मृत्युर्धावति पञ्चमः’ क० २।६ ॥५॥
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ARYAMUNI
Word-Meaning: - (सोम) हे परमात्मन् ! (त्री रोचना अति) भवान् त्रीनपि लोकानतिक्रम्य (रोहन् न) सर्वोपरि विराजमानः (दिवम् भ्राजसे) द्युलोकं दीपयति (न) तथा (इष्णन्) सर्वं व्याप्नुवन् (सूर्यम् चोदयः) सूर्यमपि प्रेरयति ॥५॥