अत्यू॑र्मिर्मत्स॒रो मद॒: सोम॑: प॒वित्रे॑ अर्षति । वि॒घ्नन्रक्षां॑सि देव॒युः ॥
English Transliteration
atyūrmir matsaro madaḥ somaḥ pavitre arṣati | vighnan rakṣāṁsi devayuḥ ||
Pad Path
अति॑ऽऊर्मिः । म॒त्स॒रः । मदः॑ । सोमः॑ । प॒वित्रे॑ । अ॒र्ष॒ति॒ । वि॒ऽघ्नन् । रक्षां॑सि । दे॒व॒ऽयुः ॥ ९.१७.३
Rigveda » Mandal:9» Sukta:17» Mantra:3
| Ashtak:6» Adhyay:8» Varga:7» Mantra:3
| Mandal:9» Anuvak:1» Mantra:3
Reads times
ARYAMUNI
Word-Meaning: - (अत्यूर्मिः) विघ्न पैदा करनेवाली सम्पूर्ण संसार की बाधाओं को अतिक्रमण करनेवाला (मत्सरः) प्रभुता के अभिमानवाला (मदः) हर्षप्रद (सोमः) उक्त परमात्मा (रक्षांसि विघ्नन्) दुराचारियों को नष्ट करता हुआ और (देवयुः) सत्कर्मियों को चाहता हुआ (पवित्रे अर्षति) जो कि उपासना द्वारा पात्रता को प्राप्त है, उसमें विराजमान होता है ॥३॥
Connotation: - जिस पुरुष ने ज्ञानयोग और कर्मयोग द्वारा अपने आत्मा को संस्कृत किया है, वह ईश्वर के ज्ञान का पात्र कहलाता है। उक्त पात्र के हृदय में परमात्मा अपने ज्ञान को अवश्यमेव प्रकट करता है, जैसा कि “यमेवैष वृणुते तेन लभ्यस्तस्यैष आत्मा वृणुते तनूं स्वाम्” क० ३।२३। जिसको यह पात्र समझता है, उसको अपना आत्मा समझकर स्वीकार करता है ॥३॥
Reads times
ARYAMUNI
Word-Meaning: - (अत्यूर्मिः) विघ्नकारका अखिलसंसारबाधा अतिक्रान्तः (मत्सरः) प्रभुत्वाभिमानी (मदः) हर्षप्रदः (सोमः) उक्तपरमात्मा (रक्षांसि विघ्नन्) दुराचारान्नाशयन् (देवयुः) सत्कर्मणः वाञ्छन् (पवित्रे अर्षति) य उपासनया पात्रतां लब्धस्तस्मिन्विराजते ॥३॥