क्रत्वा॒ दक्ष॑स्य र॒थ्य॑म॒पो वसा॑न॒मन्ध॑सा । गो॒षामण्वे॑षु सश्चिम ॥
English Transliteration
kratvā dakṣasya rathyam apo vasānam andhasā | goṣām aṇveṣu saścima ||
Pad Path
क्रत्वा॑ । दक्ष॑स्य । र॒थ्य॑म् । अ॒पः । वसा॑नम् । अन्ध॑सा । गो॒ऽसाम् । अण्वे॑षु । स॒श्चि॒म॒ ॥ ९.१६.२
Rigveda » Mandal:9» Sukta:16» Mantra:2
| Ashtak:6» Adhyay:8» Varga:6» Mantra:2
| Mandal:9» Anuvak:1» Mantra:2
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ARYAMUNI
Word-Meaning: - (दक्षस्य) चतुराई का देनेवाला (रथ्यम्) स्फूर्ति का देनेवाला (अन्धसा वसानम्) अन्नों से जिसकी उत्पत्ति है (गोषाम्) इन्द्रिय को (अण्वेषु) सूक्ष्मशक्तियों में बल उत्पन्न करनेवाला रस (क्रत्वा सश्चिम) कर्मों के द्वारा हम प्राप्त करें ॥२॥
Connotation: - जीवों की प्रार्थना द्वारा ईश्वर उपदेश करते हैं कि हे जीवों ! तुम ऐसे रस की प्राप्ति की प्रार्थना करो, जिससे तुम्हारी चतुराई बढ़े, तुम्हारी स्फूर्ति बढ़े और तुम्हारी इन्द्रियों की शक्तियाँ बढ़ें और तुम ऐश्वर्यसम्पन्न होओ ॥२॥
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ARYAMUNI
Word-Meaning: - (दक्षस्य) चातुर्य्यदातारं (रथ्यम्) स्फूर्तिदातारम् (अन्धसा वसानम्) अन्नेभ्यो निष्पादितम् (गोषाम्) इन्द्रियाणां (अण्वेषु) सूक्ष्मशक्तिषु बलोत्पादकम् (क्रत्वा सश्चिम) एवं विधं रसं कर्मभिरहमुत्पादयेमम् ॥२॥