ए॒तमु॒ त्यं दश॒ क्षिपो॑ मृ॒जन्ति॑ स॒प्त धी॒तय॑: । स्वा॒यु॒धं म॒दिन्त॑मम् ॥
English Transliteration
etam u tyaṁ daśa kṣipo mṛjanti sapta dhītayaḥ | svāyudham madintamam ||
Pad Path
ए॒तम् । ऊँ॒ इति॑ । त्यम् । दश॑ । क्षिपः॑ । मृ॒जन्ति॑ । स॒प्त । धी॒तयः॑ । सु॒ऽआ॒यु॒धम् । म॒दिन्ऽत॑मम् ॥ ९.१५.८
Rigveda » Mandal:9» Sukta:15» Mantra:8
| Ashtak:6» Adhyay:8» Varga:5» Mantra:8
| Mandal:9» Anuvak:1» Mantra:8
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ARYAMUNI
Word-Meaning: - (एतं त्यम् उ) उस सर्वगुणसम्पन्न परमात्मा को (दश क्षिपः) दश इन्द्रियें और (सप्त धीतयः) और सात धारणादि वृत्तियें (मृजन्ति) प्रकट करती हैं (स्वायुधम्) जो स्वतन्त्रसत्तावाला है और (मदिन्तमम्) सब को आनन्द देनेवाला है ॥८॥
Connotation: - परमात्मा अपनी स्वतन्त्रसत्ता से विराजमान है। जब वह श्रेष्ठों का उद्धार और दुष्टों का दमन करता है, तब उसे किसी शस्त्रादि साधन की आवश्यकता नहीं, किन्तु उसका स्वरूप ही आयुध का काम करता है। इस प्रकार के स्वतन्त्रसत्तासम्पन्न परमात्मा को हृदय में धारण करनेवाले अत्यन्त आनन्द को प्राप्त होते हैं ॥८॥७॥ यह पन्द्रहवाँ सूक्त और पाँचवाँ वर्ग समाप्त हुआ ॥
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ARYAMUNI
Word-Meaning: - (एतं त्यम् उ) तं सर्वगुणसम्पन्नं परमात्मानं (दश क्षिपः) दशेन्द्रियाणि (सप्त धीतयः) सप्तेन्द्रियवृत्तयश्च (मृजन्ति) प्रकटयन्ति च परमात्मा (स्वायुधम्) स्वतन्त्रतया विराजते यश्च (मदिन्तमम्) सर्वानन्ददाताऽस्ति ॥८॥ पञ्चदशसूक्तं पञ्चमो वर्गश्च समाप्तः ॥