ए॒तं मृ॑जन्ति॒ मर्ज्य॒मुप॒ द्रोणे॑ष्वा॒यव॑: । प्र॒च॒क्रा॒णं म॒हीरिष॑: ॥
English Transliteration
etam mṛjanti marjyam upa droṇeṣv āyavaḥ | pracakrāṇam mahīr iṣaḥ ||
Pad Path
ए॒तम् । मृ॒ज॒न्ति॒ । मर्ज्य॑म् । उप॑ । द्रोणे॑षु । आ॒यवः॑ । प्र॒ऽच॒क्रा॒णम् । म॒हीः । इषः॑ ॥ ९.१५.७
Rigveda » Mandal:9» Sukta:15» Mantra:7
| Ashtak:6» Adhyay:8» Varga:5» Mantra:7
| Mandal:9» Anuvak:1» Mantra:7
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ARYAMUNI
Word-Meaning: - (आयवः) मनुष्य (मर्ज्यम् एतम्) ध्यान करने योग्य इस परमात्मा को (द्रोणेषु) अन्तःकरणों में रख (उप मृजन्ति) उपासना करते हैं, (प्रचक्राणम्) जो परमात्मा (महीः इषः) बड़े भारी अन्नाद्यैश्वर्यों का दाता है ॥७॥
Connotation: - उपासकों को चाहिये कि वे उपासनासमय में परमात्मा के विराट्स्वरूप का ध्यान करते हुए उसके गुणों द्वारा उसका उपासन करें अर्थात् उसकी शक्तियों का अनुसन्धान करते हुए उसके विराट्स्वरूप को भी अपनी बुद्धि में स्थिर करें ॥७॥
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ARYAMUNI
Word-Meaning: - (आयवः) मनुष्याः (मर्ज्यम् एतम्) ध्यातव्यमिमं परमात्मानम् (द्रोणेषु) अन्तःकरणेषु संस्थाप्य (उप मृजन्ति) उपासते (महीः इषः) यो हीश्वरः महदन्नाद्यैश्वर्य्यं (प्रचक्राणम्) कुर्वन्नास्ते ॥७॥