ए॒ष रु॒क्मिभि॑रीयते वा॒जी शु॒भ्रेभि॑रं॒शुभि॑: । पति॒: सिन्धू॑नां॒ भव॑न् ॥
English Transliteration
eṣa rukmibhir īyate vājī śubhrebhir aṁśubhiḥ | patiḥ sindhūnām bhavan ||
Pad Path
ए॒षः । रु॒क्मिऽभिः॑ । ई॒य॒ते॒ । वा॒जी । शु॒भ्रेभिः॑ । अं॒शुऽभिः॑ । पतिः॑ । सिन्धू॑नाम् । भव॑न् ॥ ९.१५.५
Rigveda » Mandal:9» Sukta:15» Mantra:5
| Ashtak:6» Adhyay:8» Varga:5» Mantra:5
| Mandal:9» Anuvak:1» Mantra:5
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ARYAMUNI
Word-Meaning: - (एषः वाजी) अनन्तबलवाला यह पूर्वोक्त परमात्मा (रुक्मिभिः) दीप्तिमती (शुभ्रेभिः) निर्मल (अंशुभिः) प्रकाशरूप शक्तियों से (ईयते) सर्वत्र व्याप्त हो रहा है (सिन्धूनाम्) स्यन्दनशील सब प्रकृतियों का (पतिः भवन्) वह पति है ॥५॥
Connotation: - प्रकृति परिणामिनी नित्य है। परमात्मा की कृति अर्थात् यत्न से प्रकृति परिणामभाव को धारण करती है। उस से महत्तत्त्व और महत्तत्त्व से अहंकार और अहंकार से पञ्चतन्मात्र, इस प्रकार सृष्टि की रचना होती है। इस अभिप्राय से उसको स्यन्दनशील अर्थात् बहनेवाली प्रकृतियों का अधिपति कथन किया गया है। उक्त प्रकार के गुणोंवाला परमात्मा उस पुरुष के हृदय में अपनी अनन्त शक्तियों का आविर्भाव करता है, जो पुरुष अपनी अनन्य भक्ति से उसकी उपासना करता है ॥५॥
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ARYAMUNI
Word-Meaning: - (एषः वाजी) अनन्तबलोऽयं परमात्मा (रुक्मिभिः शुभ्रेभिः अंशुभिः) दीप्तिमतीभिः स्वच्छाभिः प्रकाशमयशक्तिभिः (ईयते) सर्वत्र व्याप्नोति (सिन्धूनाम्) स्यन्दनशीलप्रकृतीनां (पतिः भवन्) पतिः सोऽस्ति ॥५॥