Go To Mantra

ए॒ष पु॒रू धि॑यायते बृह॒ते दे॒वता॑तये । यत्रा॒मृता॑स॒ आस॑ते ॥

English Transliteration

eṣa purū dhiyāyate bṛhate devatātaye | yatrāmṛtāsa āsate ||

Mantra Audio
Pad Path

ए॒षः । पु॒रु । धि॒या॒ऽय॒ते॒ । बृ॒ह॒ते । दे॒वऽता॑तये । यत्र॑ । अ॒मृता॑सः । आस॑ते ॥ ९.१५.२

Rigveda » Mandal:9» Sukta:15» Mantra:2 | Ashtak:6» Adhyay:8» Varga:5» Mantra:2 | Mandal:9» Anuvak:1» Mantra:2


Reads times

ARYAMUNI

Word-Meaning: - (एषः) यह पूर्वोक्त परमात्मा (पुरु धियायते) अनन्त विज्ञानों का दाता है (बृहते देवतातये) सदैव संसार में देवत्व फैलाने का अभिलाषी है (यत्र) जिस ब्रह्म को प्राप्त होकर (अमृतासः आसते) अमृतभाव को प्राप्त हो जाते हैं ॥२॥
Connotation: - परमात्मा अनन्तकर्मा है, उसकी शक्तियों के पारावार को कोई पा नहीं सकता। इसी अभिप्राय से कहा है “तस्मिन् दृष्टे परावरे” उस परावर ब्रह्म के   जानने पर हृदय की ग्रन्थि खुल जाती है और इसी अभिप्राय से “परास्य शक्तिर्विविधैव श्रूयते” इत्यादि वाक्यों में उपनिषत्कार ऋषियों ने भी कहा है कि उसकी शक्तियें असंख्यात हैं, उसी को जान कर मनुष्य अमृत पद को लाभ कर सकता है, अन्यथा नहीं ॥२॥
Reads times

ARYAMUNI

Word-Meaning: - (एषः) असौ परमात्मा (पुरु धियायते) अनन्तविज्ञानानां दातास्ति (बृहते देवतातये) शश्वत् जगति देवत्वं विवर्द्धयिषुः (यत्र) यत् प्राप्य (अमृतासः आसते) अमृतत्वं प्राप्यते ॥२॥