अ॒भि क्षिप॒: सम॑ग्मत म॒र्जय॑न्तीरि॒षस्पति॑म् । पृ॒ष्ठा गृ॑भ्णत वा॒जिन॑: ॥
English Transliteration
abhi kṣipaḥ sam agmata marjayantīr iṣas patim | pṛṣṭhā gṛbhṇata vājinaḥ ||
Pad Path
अ॒भि । क्षिपः॑ । सम् । अ॒ग्म॒त॒ । म॒र्जय॑न्तीः । इ॒षः । पति॑म् । पृ॒ष्ठा । गृ॒भ्ण॒त॒ । वा॒जिनः॑ ॥ ९.१४.७
Rigveda » Mandal:9» Sukta:14» Mantra:7
| Ashtak:6» Adhyay:8» Varga:4» Mantra:2
| Mandal:9» Anuvak:1» Mantra:7
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ARYAMUNI
Word-Meaning: - (क्षिपः) चित्तवृत्तियें (अभि) सब ओर से (इषस्पतिम्) जो सब ऐश्वर्यों का पति है, उसको (मर्जयन्तीः) प्रकाशित करती हुयी (समग्मत) समाधि अवस्था को प्राप्त होती हैं और वहाँ (वाजिनः) सब बलों के (पृष्ठा) अधिकरण को (गृभ्णत) ग्रहण करती हैं ॥७॥
Connotation: - परमात्मा सब पदार्थों का अधिकरण है अर्थात् उसी की सत्ता से सब पदार्थ स्थिर हो रहे हैं। उस बलस्वरूप परमात्मा का साक्षात्कार समाधि अवस्था के विना कदापि नहीं हो सकता ॥७॥
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Word-Meaning: - (क्षिपः) चित्तवृत्तयः (अभि) सर्वतः (इषस्पतिम्) सर्वैश्वर्यस्वामिनं (मर्जयन्तीः) प्रकाशयन्त्यः (समग्मत) समाधिदशामधिगच्छन्ति तत्र च (वाजिनः) अखिलबलानाम् (पृष्ठा) आधारं (गृभ्णत) गृभ्णन्ति ॥७॥