न॒प्तीभि॒र्यो वि॒वस्व॑तः शु॒भ्रो न मा॑मृ॒जे युवा॑ । गाः कृ॑ण्वा॒नो न नि॒र्णिज॑म् ॥
English Transliteration
naptībhir yo vivasvataḥ śubhro na māmṛje yuvā | gāḥ kṛṇvāno na nirṇijam ||
Pad Path
न॒प्तीभिः॑ । यः । वि॒वस्व॑तः । शु॒भ्रः । न । म॒मृ॒जे । युवा॑ । गाः । कृ॒ण्वा॒नः । न । निः॒ऽनिज॑म् ॥ ९.१४.५
Rigveda » Mandal:9» Sukta:14» Mantra:5
| Ashtak:6» Adhyay:8» Varga:3» Mantra:5
| Mandal:9» Anuvak:1» Mantra:5
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ARYAMUNI
Word-Meaning: - (यः) जो परमात्मा (विवस्वतः) विज्ञानवाले जिज्ञासु की (नप्तीभिः) चित्तवृत्तियों द्वारा (शुभ्रः) प्रकाशित होकर (युवा) समीपस्थ वस्तु के (न) समान (मामृजे) साक्षात्कार को प्राप्त होता है और वह साक्षात्कार (गाः कृण्वानः) इन्द्रियों को प्रसन्न करते हुए (निर्णिजम् न) रूप के समान होता है ॥५॥
Connotation: - जो पुरुष अपने मन को शुद्ध करते हैं, वे उस पुरुष का साक्षात्कार करते हैं। उन पुरुषों की चित्तवृत्तियें उसको हस्तामलकवत् साक्षाद्रूप से अनुभव करती हैं अर्थात् शुद्ध मन द्वारा साक्षात् किये हुए परमात्मध्यान में फिर किसी प्रकार का भी संशय व विपर्ययज्ञान नहीं होता ॥५॥३॥
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ARYAMUNI
Word-Meaning: - (यः) यः परमात्मा (विवस्वतः) विज्ञानिनो जिज्ञासोः (नप्तीभिः) चित्तवृत्तिभिः (शुभ्रः) प्रकाशमानः (युवा) समीपस्थवस्तु (न) इव (मामृजे) साक्षात्कृतो भवति स साक्षात्कारश्च (गाः कृण्वानः) इन्द्रियाणि प्रीणयन् (निर्णिजम् न) रूपमिव सम्पद्यते ॥५॥